चुनावी तैयारी में आगे निकले आफताब, माइक्रो प्लानिंग बना कर बढ़ा रहे जनसंवाद
— भाजपा के जगदम्बिका पाल को उन्हीं कि सियासी रणनीति से जवाब देने की तैयारी में लगे आफताब आलम
— अति पिछड़ी जातियों को फिर से जोड कर भाजपा को पटखनी देने की तैयारी, इस बिंदु पर काम जारी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर।डुमरियागंज लोकसभा सीट से बसपा के घोषित उम्मीदवार आफताब आलम खुद को सपा गठबंधन का उतम्मीदवार मान कर गांव और कस्बों को मथ रहे हैं। वह चुनाव तैयारी की पूरी माइक्रो प्लानिंग तैयार कर उस पर अमल करते हुए काफी आगे निकल चुके हैं। उनकी प्लानिंग और जनता से कनेशन की स्टाइल देख कर सांसद जगदम्बिका पाल से संभावित चुनावी जंग दिलचस्प होने के आसार बढ़ गये हैं।
बसपा नेता आफताब आलम जिन्हें अब लोग गुड्डू भैया के नाम से जानते हैं, ने पूरे क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक जानकार, जातीय आंकड़ा और समीकरण आदि का बिंदुवार ब्यौरा अपने कम्प्यूटर में फीड कर रखा है। हर सुबह दौरे से पहले सुबह फज्र की नमाज अदा करने के बाद वह संबंधितक्षे़ का कम्प्यूटर पर अध्ययन करते हैं, फिर उसी के मुताबिक वह एक कार्ययोजना बना कर क्षेत्र में निकलते हैं।
मुकाबले में मत प्रतिशत 66 फीसदी वोट पक्ष में करने की तैयारी
बकौल आफताब आलम वह जानते हैं कि गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर उनका मुकाबला भाजपा और सांसद जगदम्बिका पाल से मुमकिन है, पाल एक जबरदस्त राजनीतिज्ञ और चुनावी रणनीति में माहिर हैं। इसलिए आफताब आलम उनका उन्हीं के हथियार से मुकाबला करने के लिए तैयारी कर रहे हैं।
अपनी रणनीति के तहत उनकी सबसे बड़ी बड़ी प्लानिंग अति पिछड़ों को साधने की रणनीति है। उनका मानना है कि यदि निषाद, मौर्य, बढई, कुम्हार, लोहार, जैसी अति पिछडी जातियों में अपना जनाधार बनाया तो वह निश्चित कामयाब होंगे। इसके लिए उन्होंने क्षेत्र में इन जातियों के पढें नलखे नौजवानों की सूची तैयार की है और वे उन्हें जोड़ने के काम में लगे हैं। इसका दो महीने में दिखेगा, ऐसा उनके वर्करों का मानना है।
सवर्ण मतों में छवि बनाने की कोशिश
सवर्ण् मतों में वो अपनी छवि अपने किरदार के माध्यम से बना रहे हैं। उन्हें सम्मान देना, अपने को सामान्य परिवार का बता कर उनके दुख दर्द से खुद को कनेक्ट करना और उनके आयोजनों में भागीदारी कर उनसे जुड़ना उनकी रणनीति का अंग है। फिलहाल रमजान के रोजे की वजह से आफताब आलम की गतिविधियां थोड़ी शिथिल रहेंगी। इसके बाद वे फिर पूरी ताकत से जुटेंगे।
भाजपा से मुकाबला बराबर का है, अति पिछड़े वोट महत्वपूर्ण
दरअसल आफताब आलम चुनावी गणित को समझते है। उन्हें पता है कि गठबंधन का मुख्य बोट बैंक 17 प्रतिशत दलित,29 फीसदी मुस्लिम और आठ प्रतिशत यादव है। इस प्रकार गठबंधन पक्षधर 54 फीसदी का है। आफताब का मानना है कि बढ़त के बावजूद भाजपा में गये अति पिछड़े वोटों में से यदि 10 फीसदी को वापस कर लिया जाये तो 64 फीसदी वोटों के गठबंधन अजेय हो जायेगा। वह इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा सत्ता पक्ष की इंकम्बेंसी भी दो तीन प्रतिशत बढायेगी। इससे गठबंधन अजेय हो जायेगा, आफताब आलम की यह रणनीति सटीक है। देखिये कि हि कितनी सफल होती है।
हम अपना नहीं गठबंधन का जनाधार बढ़ा रहे- आफताब आलम
कपिलवस्तु पोस्ट ने जब उनकी रणनीति पर चर्चा के दौरान सवाल किया कि जब गठबंधन ने अभी उम्मीदवार नही तय किया तो चुनाव आप ही लड़ेंगे, इसकी क्या गारंटी है?
इस सवाल के जवाब में आफताब आलम ने बड़े सलीके से कहा कि अभी वह बसपा के उम्मीदवार के रूप में जनाधार बढ़ा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह आगे गठबंधन के भी उम्मीदवार होंगे। लेकिन अगर किसी कारण गठबंधन उम्मीदवार के रूप में कोई दूसरा भी उम्मीदवार बना तो उनक यह जनाधार दूसरे उम्मीदवार के काम आयेगा। वह उनकी मदद करेंगे। वह गठबंधन धर्म पूरी ईमानदारी से निभाएंगे।
हमारा नेता कैसा हो, आफताब भाई जैसा हो- शमीम
इस बारे में बसपा के जिला उपाध्यक्ष शमीम भाई…कहते हैं कि दरअसल गठबंधन को बसपा नेता आफताब भाई जैसे नेताओं की दरकार है, जो पार्टी के साथ गठबंधन के की जीत के पक्षधर है और विपरीत हालात में गठबंधन के दूसरे उम्मीदवार की जीत में मदद करने की बात खुले आम कहते हैं।
शमीम अहमद के मुताबिक संभावित गठबंधन के अन्य बडे नेताओं को भी जनता के बीच पहुंच कर ऐसा ही संदेश देना चाहिए। इससे गठबंधन की ताकत बढ़ेगी।
याद रहे कि गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ख्वाब देख रहे कई अन्य नेता अभी सक्रिय नहीं हैं। वे टिकट के फैसले के बाद ही जनता के बीच जाने के पक्षधर हैं। इससे उनक श्रम और धन दोनों बचेगा।