कांग्रेस से गठबंधन में फंसा पेंच, बदल सकता है डुमरियागंज लोकसभा सीट का समीकरण
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। लोकसभा चुनाव को लेकर सपा बसपा और कांग्रेस के बीच होने वाले गठबंधन में दरार पड़ने की आशंका खड़ी हो गयी है। माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से सपा बसपा बसपा गठबंधन बाहर रहेगा, यदि ऐसा हुआ तो डुमरियागंज लोकसभा की तस्वीर बदल जायेगी। यहां चुनावी रंग बेहद दिलचस्प दिखेगा।
खबर है कि आगामी लोकसभा चुनाव में सपा बसपा का गठबंधन तो रहेगा, लेकिन कांग्रेस उससे बाहर रहेगी। इस बारे में सूत्रों का कहना है कि सपा के अध्यक्ष तो राहुल से गठबंधन चाहते हैं, परन्तु मायावती उसे बिलकुल नहीं चाहतीं। चूंकि अखिलेश यादव बसपा से गठबंधन के लिए हर हाल में तैयार है, इसलिए माना जा रहा है कि मजबूरी में अखिलेश यादव राहुल से किनारा कस लें। ये अलग बात है कि अखिलेश राहुल गांधी के आधा दर्जन उम्मीदवारों के खिलाफ अपना उम्मीदवार न उतारें।
सर्वाधिक प्रभाव डुमरियागंज में पड़ने की आशंका
लखनऊ में चल रहे इस नये राजनीतिक घटना क्रम का सर्वाधिक प्रभाव डुमरियांगंज क्षेत्र में पड़ने की आशंका है।
बताया जाता है कि कांग्रेस से गठबंधन टूटने की दशा में डुमरियागंज लोकसभा सीट पर इाजपा और गठबंधन के अलावा कांग्रेस भी तीसरी ताकत के रूप में चुनाव लडेगी। ऐसी दशा में हालात रोचक होंगे। इसलिए कि भाजपा के मुकाबले में कांग्रेस की ओर से मुहम्मद मुकीम की उम्मीदवारी तय है। भाजपा के जगदम्बिका पाल अथवा कोई अन्य के मुकाबले कांग्रेस के मो मुकीम तो होंगे। दूसरी तरफ सपा बसपा की ओर से गत चुनावों में बसपा को मिले वोट के आधार पर बसपा के घोषित कैंडीडेट आफताब आलम होंगे।ऐसे में प्रथम दृष्टया भाजपा का पक्ष मजबूत लगता है।
इस बार भाजपा हारेगी जरूर- आफताब आलम
इस बारे मे्ं बसपा उम्मीदवार आफताब आलम का कहना है कि गत लोकसभा चुनाव में पीस पार्टी को लगभग एक लाख मुसलमानों का वोट मिला था, उतने ही वोट से बसपा हारी थी। इस बार पीस पार्टी गठबंधन में शामिल है। इसलिए हार की कोई गुंजाइश नहीं। गठबंधन को केवल भाजपा के अति पिछड़े वर्ग में काम करके बढ़त को आगे ले जाना है और अगर कांग्रेस से गठबंधन हो गया तो सोने में सुहागा है। उन्होंने कहा कि गठबंधन का उम्मीदवार कोई भी हो, भाजपा इस बार जरूर हारेगी।