यादें 1996- जब मुलायम सिंह ने ईद के दिन दामन फैलाया और मुसलमानों ने भर दी बृजभूषण तिवारी की झाेली
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। वर्ष 1996 का लोकसभा चुनाव था। जिले की डुमरियागंज सीट से सपा उम्मीदवार बुजभूषण तिवारी की पोजिशन बहुत कमजोर दिख रही थी। 1991 का चुनाव बुरी तरह से हारने के करण बृजभूषण तिवारी क्षे़त्र से कट से गये थे। इसलिए जनता में उनकी पकड़ ढीली पड़ गई थी। मुसलमान उनसे काफी नाराज थे, वे उनके सुख दुख से कोई वास्ता नहीं रख रहे थे। आखिर में मुलायम सिंह ने एक खतरा मोल लिया और उन्होंने चमत्कारिक ढंग से बृजभूषण तिवारी को चुनाव जितवा दिया।
इस चुनाव में तिवारी से मुसलमान बेहद खफा थे और वे तिवारी कांग्रेस की उम्मीदवार मोहसिना किदवई और निर्दल सीमा मुस्तफा के पक्ष में बंटे हुए थे। दूसरी तरफ भाजपा से रामपाल सिंह और कांग्रेस के अमरमणि त्रिपाठी उनके हिंदू मतदाताओं पर आक्रमण कर रहे थे। इस जिले के यादव भी तब तक सपा से पूरी तरह नहीं जुड़ पाये थे, वे भाजपा सतर्थक माने जाते थे। । सपाई किंकर्तव्य विमूढ़ थे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि बृजभूषण तिवारी को तुख्य लड़ाई में कैसे लाया जाये। जीत की बात करना तो बहुत दूर की बात थी।
मुलायम सिंह का गेम प्लान
उस समय मुलायम सिंह यादव को डुमरियागंज सीट पर पार्टी की हालत पतली होने की रिपोर्ट मिल रही थी। उन्होंने सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय पर जनसभा का निर्णय लिया। सभा की तरीख ईद के दिन पड़ी थी। दस बजे मुख्यालय पर उनकी सभा का आयोजन सुबह 10 था। तारीख तो याद नहीं, मगर महीना अप्रैल लास्ट का था। उसके कुछ ही दिन बाद मई में मतदान होना था।
लोग सन्नाटे में थे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि ईदकिे दिन कौन मुसलमान उनकी सभा सुनने जायेगा। उन्हें मनाने की कोशिशें भी हुई लेकिन नेता जी अडिग रहे। उन्हें यकीन था कि लोग जरूर आयेंगे। नेता जी ने स्थानीय नेताओं को निर्देश दिया कि वे सभी के लिए प्रचार में यही कहें कि नेता जी अकलियत समाज से खास बात करने आयेंगे।
मुसलमानों के दिल से उठता सवाल
नेता जी ईद के दिन जनसभा क्यों करने आ रहे हैं। यह सवाल मुस्लिम समाज को उत्सुक कर रहा था। इसी के तहत लोग नमाज के बाद सीधे सभास्थल पहुंचे। वहां 20 हजार की भीड थी। सभी के मन में यही सवाल था कि नेता जी आज क्या बोलेंगे? लगभग 10.45 बजे नेता जी का उडन खटोला उतरा। नेता जी स्टेज पर केवल पांच मिनट के लिए आये।
और रुला गये मुलायम सिंह
उन्होंने मुसलमानों को ईद की बधाई देने के बाद कहा कि मै सिर्फ मुस्लिम भाइयों का 5 मिनट समय लूंगा। उन्होंने कहा कि मेरे मुस्लिम भाइयो, सुना है आप बृजभूषण तिवारी जी से बहुत नाराज हैं। मुझे आपसे सिर्फ यही कहना है कि सिर्फ आपकी कनून सम्मत हिफाजत की प्रतिबद्धता के कारण आज एक राजनैतिक जमात के लोग मुझे मुल्ला मुलायम, वेश्या और मुस्लिम की औलाद कह कर ताने दे रहे हैं। मै चाहता तो मै भी आपसे दूर रह कर आराम से राजनीति करता। लेकिन इंसानियत और कमजोर की मदद के लिए मै खड़ा हुआ, बदले में मुझे गालिया और अपमान मिला।
उनका कहना था कि मै मानता हूं कि बृजभूषण तिवारी ने आपके बीच कभी संवाद नही बनाया, लेकिन आज मै उसके लिए माफी मांगते हुए दामन फैला कर आपसे उन्हीं के लिए वोट मांगता हूं। आपने आज बहुत फितरा जकात निकाला होगा। उन्होंने अपने कुर्ते का दामन फलाते हुए कहा कि आज मै पहली और आखिरी बार हक व इंसाफ की जान का सदका उतारने के लिए आपसे से दामन फैला कर वोट मांग कर जा रहा हूं। अब इज्जत जिल्लत आपके हाथ है।
इतना कहने के बाद मुलायम सिंह चले गये। लेकिन वहां मौजूद हजारों की भीड मेंे लोग चिल्लाते हुए, आंसुओं के बीच कह रहे थे, कि उनका एक एक वोट मुलायम के नाम पर न्यौछावर हैं। उसका बाजार के एक परम्परागत कांग्रेसी मुस्लिम परिवार ने कहा जिंदगी में पहली बार कांग्रेस को नही वोट मुलायम को देंगे। यह उसी परिवार के सदस्य थो जिन्होंने १९९१ में अपने घर से सपा नेता को प्रचार के दौरान भगा दिया था।
और जीते गये हारते हुए बृजभूषण तिवारी
इस सभा के बाद मई में मतदान के बाद जब रिजल्ट आया तो बृतभूषण तिवारी जी 1 लाख 79 हजार 675 वोट पाकर विजयी हुए। भाजपा के रामपाल सिंह को 165752 मत ही मिल सके। मुसिलम मतों का धुवीकरण किस प्रकार था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो रासष्ट्रीय मुस्लिम चेहरे मोहसिना किदवई और सीमा मुस्तफा को केवल 32062 और 3987 पर रह गईं।
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