पुलिस निर्दोष को रेपिस्ट कैसे बनाती है, इसकी ताजा मिसाल है भवानीगंज रेप कांड
— प्रेम प्रसंग के मामले को रेप का मामला बनाया, घटना में प्रेमी के भाई को भी लपेटा
— इमरान सुबह से 9.30 बजे तक सीसी टीवी के सामने रहा, फिर भी बना दिया गया मुलजिम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। किसी बेगुनाह को पुलिस की मिली भगत से रेपिस्ट कैसे बनाया जाता है, इसकी ताजा मिसाल डुमरियागंज के थाना भवानीगंज में रेप के मुलजिम बने युवक इमरान का मामला है। ल़ड़की पक्ष के कहने पर पुलिस ने एक महीने पहले उस इमरान नामक युवक को बलात्कार का मुलजिम बना दिया, जो घटना के पहले से घटना के बाद तक कर्मचारी के तौर पर निरंतर सीसी टीवी के दायरे में रहा। तो जानिये किस तरह से निर्दोष को पुलिस रेपिस्ट तक बना देती है।
क्या है पुलिस रिपोर्ट ?
लगभग एक माह पहले 1 सितम्बर को भवानीगंज थाने में एक मुकदमा दर्ज होता है, जिसमें थाना क्षेत्र के एक गाँव में कि एक कथित नाबालिग का रेप की घटना लिखी जाती है, ऐसा पीड़ित लड़की अपने बयान में कहती है, तहरीर में लड़की 5 लोगो को आरोपित करती है, जिसमे 2 सगे भाई फैसल व् शाहफहद है, 2 लोग अंजान है, और एक नाम इमरान का भी है।
प्रेम प्रसंग या रे, क्या है सच्चाई?
लेकिन सच्चाई ये है कि लड़की का प्रेम प्रसंग फैसल से काफी समय से चल रहा होता है, वो लड़की भी प्रेम करती है, एक दिन लड़की अपने घर वालो को नींद की गोली खिला कर अपने प्रेमी से मिलने जाती है, जिससे उसके घर वाले सो जाते है, लेकिन घर में मौजूद छोटे बच्चे को नींद का डोज़ ज्यादा हो जाता है, अगले दिन उसे डॉक्टर के द्वारा इलाज कराना पड़ता है l
अंतरंग सम्बन्ध के बाद जब प्रेमी जोड़े वापस आ जाते है। गांव के कुछ दूसरे लडके जो उन दोनों के प्रेम से चिढ़ते है, ये बात गाव के लोगो को नागवार गुज़रती है, और प्रेमी जोड़ों की पिटाई कर दी जाती है, प्रेमी फैसल की पिटाई करने पर लड़की उस पर लेट कर किसी तरह बचाती है। गंभीर रूप से घायल प्रेमी को अस्पताल ले जाया जाता है। जहा उसका उपचार किया जाता है।
कैसे आया घटना में मोड़?
अगले दिन ही लड़की के घर व् गांव वाले दबाव् बनाते है कि अगर प्रेमी फैसल मर गया तो 302 का केस बन जाएगा, और गाव के कई लड़के मुजरिम बन जायेंगे इसीलिए रेप का मुकदमा कर दो, लडकी भी दबाव में आकर तहरीर दे देती है l
बंद पड़े स्कूल से बनवाई गई सर्टीफिकेट
तहरीर में लड़की कहती है कि वो शौच के लिए 8 बजे गयी थी, जहाँ पर फैसल ने कथित रेप किया है। और सगे भाई व् साथी ने मदद की है l जबकि उसके घर में शौचालय मौजूद है। अब चूंकी लड़की 20 वर्ष से अधिक उम्र की होती है, तो एक 4 साल पहले बंद हो चुके मदरसे से बैक डेट में फ़र्ज़ी मार्कशीट बनवा कर उम्र 16 साल यानि नाबालिग दिखाई जाती है।जो मदरसा रजिस्टर्ड भी नहीं था। हालांकि वोटर लिस्ट, परिवार कल्याण रजिस्टर, आधार कार्ड व दूसरे सभी कागज़ात में उसकी उम्र 20 वर्ष से अधिक दर्ज है।
केस में पुरानी रंजिश वाले भी प्रकट होकर उसमे प्रेमी फैसल के भाई शाह फ़हद का नाम भी शामिल किया जाता है, जो बकौल उसके कि उसकी जानकारी में नहीं होता है, कि उसका भाई किसी लड़की से प्रेम करता है।
इमरान तो सीसीटीवी के सामने था
इसी केस इमरान का नाम भी लिखा जाता है कि उन्होंने रेप करने में मदद की । जबकि इमरान सीसीटीवी की निगरानी में सुबह 9 बजे से रात 9.30 तक अपनी आफिस में ड्यूटी पर होता है, जिसकी कन्फर्मेशन, सीसीटीवी विडियो, अटेंडेंस शीट और आफिस के साथी व् मेनेजर भी करते है l और आफिस घटना स्थल से 12 से 15 किलोमीटर की दुरी पर होता है। अब 9.30 बजे रात को आफिस से गाव तक आने में 1 घंटे तो लगेगे ही l जबकि बलात्कार का समय रात 8 बजे बताई गई है।
फिर बेगुनाह इमरान को क्यों फंसाया जा रहा है? सिर्फ इसलिए कि वो फैसल का क्लास मेट था, उसके साथ टहलना घूमता था? या किसी खास षडयंत्र का हिस्सा बनाया गया है? पुलिस आखिर केा के इस पहलू पर गौर क्यों नहीं कर रही है, क्या भवानीगंज पुलिस पैसे के लालच या किसी प्रभावशाली हस्ती के दबाव में ऐसा कर रही है?