गांव के लोगों को डिजिटल इंडिया नहीं, स्थानीय विकास की जरूरत- आफताब आलम

October 18, 2018 4:00 PM0 commentsViews: 399
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नजीर मलिक

बांसी विधानसभा क्षे़त्र में आफताब आलम का स्वागत करते ग्रामीण

सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज लोगकसभा क्षे़त्र के बसपा प्रभारी आफताब आलम ने कहा है कि गावं के लोगों को अभी तक पूरी तरह से  बुनियादी सुविधाये तक हासिल नहीं है और प्रधानमंत्री जी डिजिटल इंडिया का नारा उछाल कर गावों साथ छल कर रहे हैं। जबकि उन्हें चाहिए कि पहले वह गांव के गरीबों किसानों, मजदूरों की जरूरत के हिसाब से विकास का का खाका बनायें। जनसम्पर्क के दौरान ग्रामीणों ने जगह जगह उन्हें अपनी व्यथा सुनाई, लोगों ने फूल मालाएं भी पहनाई।

बसपा के स्थानीय सीट के घोषित उम्मीदवार आफताब आलम ने अपने दौरे के क्रम में गुरुवार को बांसी विधानसभा क्षेत्र के सोनखर, बनकटिया,  कोल्हुआ, महोखवां, नदांव, असनार, मसैचाए वनैथी, छितही, कठ्मोरवा, केश्वारी,  मरवटिया, बेलौहां, आदि दो दर्जन गांवों में जनसम्पर्क और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से किन्द्र सरकार के डिजिटल कार्यक्रम की आलोचना की और कहा कि गांव के 90 फीसदी लोगों के पास अभी तक स्मार्ट फोन नहीं है। ऐसे में वे किस तरह किसी ऐप, खरीद या बैंकिंग प्रणाली का लाभ कैसे उठा सकेंगे।

उन्होंने भाजपा सरकार की चुटकी लेते हुए कहा कि यह तो ऐसे हुआ कि गांवों में अभी सैकड़ों घरों में बिजली की रौशनी नहीं पहुंची और सरकार उनको फैक्ट्री लगाने के लिए उत्साहित करने लगे। आफताब आलम ने कहा कि मोदी जी की सरकार पहले अपने वादे पूरे करे। वह अपने वादे के मुताबिक पहले हर परिवार के खाते में 15 लाख जमा कर दे तो गांव के जनता की सारी समस्याएं हल हा जायेंगी।

आफताब आलम ने कहा कि अभी गांवों की तो छोडिए सिद्धार्थनगर मुख्यालय की सड़कें तक चलने लायक नहीं हैं। गावों के स्कूलों में बच्चों आज भी जमीन पर बैठ कर पढने को मजबूर हैं। शौचालय के अभाव में आज भी महिलाएं अपमान सहने को विवश हैं। बालक बालिकाएं कुपोषण का शिकार हैं। अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाइयां नहीं हैं। ऐसे में सरकार का डिजिटल इंडिया का सपना गांवों में कैसे साकार हो सकेगा। उन्होंने जनता से कहा कि आपके सांसद महोदय जब भी आपके इलाके में आयें तो उनसे यह सवाल जरूर करें।

दौरे में उनके साथ अबरार हुसैन, राजेन्द्र कमल, दिनेश चन्द गौतम, शमीम अहमद, भरत लाल निषाद, वीर चन्द्र पासवान, सतेन्द्र गौतम, जयराम गौतम, रामनयन आनन्द, रामराज चौधरी रामू प्रधान, शेखर आजाद, नागर तिवारी, रामलाल चौधरी, महमूद अली, महताब अहमद, मो. कैफ, रामबहोर कन्नौजिया, राजकुमार यादव, अमर पाल सहानी, हंसराज मास्टर, दुलारे प्रधान आदि ने भी विचार व्यक्त किये।

 

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