अख्तर भाई की फुलवारी, धर्म का नया संदेश
अपनी फुलवारी की देखभाल करते अख्तर भाई व उनके बोनसाई पौधे
संजीव श्रीवास्तव
“नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय स्थित सामाजिक कार्यकर्ता अख्तर हुसेन अख्तर की फुलवारी वैज्ञानिक धर्म का नया संदेश देती है। उनकी फुलवारी में खड़े होने के बाद लोग कुछ देर के लिए खुद को भूल जाते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए चिल्ल-पों करने वाले तो बहुत हैं, मगर इससे दूर अख्तर भाई अपने शौक में मगन हैं। हालांकि अपनी दिलकश बगिया को सींचने के लिए उन्हें बड़ी कीमत अदा करनी पड़ी है।”
शहर के बीचोबीच राहुल नगर में दो हज़ार वर्गफुट में तैयार की गई फुलवारी पहली नज़र में ही दिल में उतर जाती है। अख़्तर भाई की इस फुलवारी में पाम ट्री, कई रंगों के गुलाब, गुलदाउदी, गेंदा, डहेलिया, बेला, चमेली, जीनिया, गुलझारा और तमाम प्रजाति के क्रोटन्स मन मोह लेते हैं। उत्तर प्रदेश में ऐसे राजे-रजवाड़े, जमींदार और पूंजीपतियों की कोई कमी नहीं है, जिनके पास हजारों एकड़ जमीनें हैं, लेकिन दो हजार वर्गफुट में बनी अख्तर भाई जैसी फुलवारी का कहीं दीदार हो जाना मुमकिन नहीं है।
बकौल अख्तर भाई वह अपनी 50 हजार प्रतिमाह आमदनी का एक चौथाई भाग फुलवारी की सुरक्षा संरक्षण पर खर्च करते हैं। सुबह-शाम वह अपनी फैमिली के साथ फुलवारी की देखभाल करते हैं। उनका कहना है कि फूल, पौधे लगाने की प्रेरणा उन्हें अपने वालिद मरहूम से मिली। बाद में पर्यावरण जागरुकता ने उनके शौक को जुनून में बदल दिया। अब यही मेरा धर्म है। मोहब्बत ही मजहब की सीढ़ी है और हम इस सीढ़ी को मजबूत बनाने में लगे है।
हालांकि इस फुलवारी का शौक अब उन्हें आर्थिक संकट का एहसास दिलाता है, बावजूद इसके वह ख़ुश और अपनी दुनिया में मगन हैं। वह कहते हैं कि उनकी हरी-भरी फुलवारी देखकर आसपास के लोग प्रेरित हुए हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूक भी हुए हैं। अपनी फुलवारी का दीदार कराने के लिए उत्साहित अख्तर भाई लोगों को बुलाते भी हैं। तो आइए, एक बार फिर चलते हैं अख़्तर भाई की फुलवारी में।