मंत्रियों के पैड पर हो रहा फर्जीवाड़ा, आठ के खिलाफ मुकदमा, मास्टर माइंड पर नहीं जा रही नजर
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर में मंत्रियों और सरकारी पार्टी के बड़े नेताओं के पैड पर फर्जी दस्तखत के माध्यम से बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है। इस झांसे में अब तक अनेक लोग आ चुके है, कई लोग पकड़े भी जा चुके हैं, मगर मास्टर माइंड पर कोई कार्रवाई नहीं होने से यह धंधा रुक नहीं पा रहा है।
बताया जाता है बस्ती मंडल के कमिश्नर को पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री का एक सिफारिशी पत्र मिला, जिसमें सीडीपीओ प्रियंका वर्मा को हटाने की मांग की गई थी। पत्र की भाषा देख कमिश्नर को शंका हुई। जांच में लेटर फर्जी पाया गया। पत्र के साथ लगे प्रार्थना पत्र के आधार पर कमिश्नर ने तिलौली निवासी अजय कुमार कृष्णा हरिश्चंद्र आदि आठ लोगों के खिलाफ गुरुवार को सिद्धार्थनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।
सूत्र बताते हैं कि वह लोग तो केवल मोहरे हैं। उन्होंने अपना काम निकलवाने के लिए पैसे देकर यह काम कराया था। असली मास्टर माइंड तो अभी दूर है। पुलिस अगर इन आठों को पकड़ कर पूछताछ करे, तो शायद मास्टर माइंड का नाम सामने आ सकता है। वैसे सभी आठों मुलजिम अभी तक फरार हैं।
फर्जी लेटर हेड और हस्ताक्षर से अफसरों को गुमराह करने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले सीएमओ कार्यालय में एक फार्मासिस्ट के खिलाफ कार्रवाई संबंधी एक पत्र सपा के एक बड़े नेता के नाम से आया था। जांच में वह भी फर्जी पाया गया था। सपा के मुकदमा वापसी संबंधी नीति के क्रियान्वित होने के समय भी इसी प्रकार डुमरियागंज जाली नोट कांड के एक अभिययुक्त सहित कई के सिफारिशी पत्र चर्चा में थे।
इससे पूर्व जिला चिकित्सालय में एक लिपिक ने अपने पक्ष में तो महामहिम राज्यपाल का सिफारिश पत्र ही लगा दिया था। बात खुलने पर उक्त बाबू तो जेल गया, लेकिन असली मास्टर माइंड को हाथ भी नहीं लगाया गया। जबकि आम चर्चा थी कि असली मास्टर माइंड कौन है।
इस बारे में सपा नेता खुर्शीद खान का कहना है कि कोई भी फ्राड आदमी किसी भी दल के नेता का फर्जी लेटर हेड बना कर इस्तेमाल कर सकता है। इसमें पार्टी का क्या दोष है। जबकि पुलिस विभाग का कहना है कि जब भी उन्हें कोई शिकायत मिलेगी, कार्रवाई जरूर होगी।