बीएसए का फर्जीवाड़ा: रिकॉर्ड में हेरफेर कर 22 ओबीसी युवाओं को नौकरी से किया बेदखल
नजीर मलिक
पिछड़ी जाति के 22 युवाओं को सरकारी नौकरी से बेदखल करने के लिए सिद्धार्थनगर के पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी ने साजिश रची। वह अपने मकसद में कामयाब भी हो गए। पिछड़ी जाति के पात्र युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कपिलवस्तु पोस्ट की तफ्तीश में इस फर्ज़ीवाड़े का खुलासा हुआ है।
युवा अभ्यर्थियों के हक पर डकैती का यह खेल साल 2014 में अक्तूबर-नवम्बर के बीच खेला गया। सूत्रों का दावा है कि कट ऑफ लिस्ट में पिछड़ों की अधिक संख्या देखकर तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी ने उनको बाहर करने का प्लान बनाया। वजह यह है कि तत्कालीन बीएसए का वैचारिक जुड़ाव बहुजन समाज पार्टी से है। वह खुद भी अनुसूचित जाति के हैं।
मेरिट सूची में पिछड़ों की ज्यादा तादाद देख कर इस बीएसए ने दूसरे जनपदों से हाई मेरिट वाले लड़कों की पहचान की और बैक डेटिंग के जरिए उनकी काउंसलिंग तक करवा दी। ऐसा होने से कटऑफ लिस्ट में शामिल ओबीसी अभ्यर्थी नीचे खिसक गये और 65.49 की अंतिम कटऑफ में आए 25 में से 22 अथ्यर्थी बाहर हो गये।
हैरत इस बात की है कि विभाग ने कटऑफ से बाहर हुए अभ्यर्थियों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। विभाग बार-बार यही भरोसा देता रहा कि सभी का चयन हो गया है। विभाग सालों से इनके मूल प्रमाण-पत्र भी दबाए बैठा रहा। पीड़ित अनिल कुमार, सत्येंन्द्र वर्मा, धीरेन्द्र यादव, विनोट पटेल आदि का कहना है कि यह एक साजिश थी। अगर हमें इसका पता तभी चल गया होता तो हम दूसरी जगहों पर आवेदन कर सकते थे। इस साजिश की वजह से यह मौका भी हाथ से निकल गया।
युवाओं का आरोप है कि यह साजिश इसलिए रची गई ताकि वे दूसरे जनपदों में अपनी कांउलिंग न करा सकें। इस बारे में पूर्व बीएसए से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला। वर्तमान बीएसएस अजय सिंह का कहना है कि वह अभी जल्दी आये हैं। इसलिए इस प्रकरण के बारे में कुछ नहीं बता सकते हैं।
याद रहे कि सहायक अघ्यापक के चयन के अंतिम कट आफ में इन 22 युवाओं को पिछले साल शामिल किया गया था। उनकी काउंसलिंग भी हो गई थी, लेकिन तीन दिन पूर्व जब रिजल्ट आया तो उनके नाम सूची से गायब मिले।