जिले के तीन होनहारों ने मलेशिया में भारत का परचम लहराया, जीते दो स्वर्ण व एक रजत पदक
— इससे पूर्व साठ के दशक में मो .मोहसिन, फजलुर्रहमान व मन्नान खान ने राष्ट्रीय स्तर पर कमाया था नाम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। देश के अति पिछड़े जिलों में शुमार सिद्धार्थनगर के तीन होनहारों ने मलेशिया की धरती पर जीत के झंडे गाड़े हैं। यह इस बात का सबूत है कि यदि यहां के बच्चों को थोड़ी भी सरकारी सुविधा मुहैया हो जाये तो वे खेल क्या हर क्षेत्र में भारत का परचम लहराने में सक्षम हो सकते हैं। इस खबर से यहां नगर में खुशी का माहौल है।
कल शाम को यह खबर आई के गत 27 से 29 सितम्बर तक मलेशिया के क्वालालम्पुर में होने वाली इंटरनेशनल ताईक्वानडो प्रतियोगिता में जिला मुख्यालय के रहने वाले तीन बच्चों में से 2 सत्यम श्रीवास्तव व अमन द्धिवेदी ने स्वर्ण और रामनाथ पासवान ने रजत पदक जीता है। इस खबर के बाद नगरवासी झूम उठे। सत्यम वरिष्ठ पत्रकार संजीव श्रीवास्तव के पु़त्र हैं। इन बच्चों को निखारने में उनके कोच विद्या सागर साहनी का योगदान है। इसमें सरकारी प्रोत्साहन कुछ भी नहीं है।
फॅलैश बैक- कौन थे साठ दशक के खिलाड़ी
बता दें कि सन साठ के दशक में मो. मोहसिन का चयन एशियाई वालीबाल के कोचिंग कैम्प के लिए हुआ था। इसके अलावा फजलुर्रहमान व अब्दल मन्नान खान का चयन इंडिया ब्वायज के लिए हुआ था। लेकिन मार्ग दर्शन के अभाव व आर्थिक कारण से वे कैम्प ज्वाइन न कर सके। और उनकी प्रतिभा असमय ही दम तोड़ गई।
इसके अरसे के बाद फिर तीन बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। इसी प्रकार जिले के बढ़नी कस्बे की एक बालिका वालीबाल के गेम में राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर सामने आई है। लेकिन आशंका है कि सरकारी प्रोत्साहन और उचित मार्गदर्शन के अभाव में यह प्रतिभाएं भी असमय दम न तोड़ दें।
इस सिलसिले में स्थानीय खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार स्थानीय स्तर पर खेल सुविधाएं बढाए और प्रतिभाओं को संरक्षण दे, जिससे वे आगे बढ़ कर देश व प्रदेश का नाम रौयान कर सकें। दूसरी तरफ जीत के बात सत्यम, अमन व रामनाथ ने इस जीत के पीछे अपने कोच विद्यागर साहनी की मेहनत व माता पिता का आशीर्वाद बताया है।