सरकारी उदासीनता से खत्म हो रहे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज

October 2, 2015 10:51 AM0 commentsViews: 353
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नीलोत्पल दुबे

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भारत नेपाल के तराई अंचल में बसे जनपदों का पुरातत्व  महत्व सर्वविदित है बावजूद इसके अभी भी तमाम ऐसेपुरातत्विक महत्व के क्षेत्र हैं जो उपेक्षा और उदासीनता के कारण नष्ट हो रहे हैं।

महराजगंज जनपदके बृजमनगंज क्षेत्र में खड़खोड़ा ऐसा ही एक गांव है, जो सिद्धार्थ नगर जनपद के लोटन से सटे घोघी नदी के तट पर बसा है। मोहनजोदड़ों से लेकर हड़प्पा सिंधु सभ्यताओं का नाम लोगों के जुबान पर इसलिए है, क्योंकि इतिहास में इन्हें पढ़ाया जाता है। भारत नेपाल के तराई में बसे जनपदों का भी अपना इतिहास रहा है फर्क बस इतना है कि इन्हें अन्य सभ्यताओं की तरह पढ़ाया नहीं जाता।

महाभारत काल से लेकर बुद्ध और नाथसंप्रदाय से जुड़े साक्ष्य तराई के जनपदों में यत्रतत्र
बिखरे हैं। बृजमनगंज से सहजनवां बाबू मार्ग पर घोघी तट पर बसा गांव है खड़खोड़ा। गांव में कई प्राचीन टीले भग्नावशेष मौजूद हैं जो उपेक्षा और अतिक्रमण के चलते अस्तित्व खो रहे हैं।

गांव के उत्तर दिशा मे १५ फिट ऊंचा टीला है जिसपर अलग अलग पत्थरों के पांच शिवलिंग हैं। सभी
शिवलिंग विशाल काय और अर्घायुक्त हैं। गांव वालों की मानें तो उनकी पिछली तमाम पीढियां इन
शिवलिंगो को देखती आ रही हैं इसलिए प्राचीनता का पता कार्बन आयु अंकन से ही लगाया जा सकता
है।

महराजगंज के पुलिस अधीक्षक और बाद में डीआईजी गोरखपुर रहे विजय कुमार ने जांच शुरू करवाया था, लेकिन जांच शुरू हो इससे पहले ही उनका तबादला हो गया। उनके बाद आए किसी भी सक्षम अधिकारी ने ऐसी जरूरत ही नहीं समझी। टीले के उत्तर ५० मीटर दूर एक मूर्ति भी निकली है जो बुद्ध की ध्यानस्थ मुद्रा जैसी है इसे शक्ति का स्वरुप भी जानकार बताते हैं।

ग्रामसभा के पुराने बंदोबस्त में यहां ५२ बावड़ियों का जिक्र है जिनमे से अब सिर्फ कुछ शेष हैं। गांव के इर्द गिर्द छोटे बड़े टीले है कृषि कार्य करते समय प्राचीनता के साक्ष्य भी मिले हैं लेकिन शासन प्रशासन की लापरवाही के कारण यहां का इतिहास क्या है, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

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