नलकूप खराब नहरें सूखीं, अफसर चुनाव में व्यस्त, किसान जाये भाड़ में
नजीर मलिक
रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था। यही सिद्धार्थनगर में भी रहा है। किसानों के खेत सूखे हैं। नलकूप बेपानी हैं, नहरें बंद हैं, किसान खून के आंसू रो रहा है, मगर प्रशासन को इसकी फिक्र ही नहीं है।
जिले में तकरीबन चार लाख किसान हैं। उन्होंने इस बार दो लाख हेक्टेयर में धान की खेती की है। धान की फसल में बालियां आने वाली हैं। इस वक्त उसे पानी की सख्त जरूरत है।
किसान बताते हैं कि पानी के अभाव में फसलें तकरीबन 50 फीसदी बरबाद हो चुकी हैं। अगर एक सप्ताह पानी और न मिला तो 80 फीसदी धान की फसल समाप्त हो जाएगी।
जहां तक प्रशासन का सवाल है, वह चुनावों में व्यस्त है। जिले की जमींदारी नहर और बानगंगा नहर परियोजनाओं की नहरें पूरी तरह सूखी हुई है। राप्ती परियोजना की कुछ ही नहरों में पानी है।
नलकूपों की हालत और खराब है। इंडो डच परियोजा के सारे नलकूप खराब पड़े है। सामान्य नलकूपों में भी 50 फसदी खराब है। जो ठीक है उनका इस्तेमाल भी बिजली के बिना होना मुमकिन नहीं है।
जिले के बड़े किसान तो निजी नलकूपों से खेतों की सिंचाई कर ले रहे हैं, लेकिन छोटी जोत का किसान हलकान है। वर्तमान में प्रशासन का सारा ध्यान चुनावों पर है। वह इससे हट कर सोच ही नहीं पा रहा है।
उप कृषि निदेशक का कहना है कि प्रकृति पर किसी का वश नहीं। नलकुपों कीे ठीक कराने के लिए वह जल्द ही विभाग को अवगत करायेंगे। कुल मिला कर किसान भगवान भरोसे ही है।