महानगरों से भूखे नंगे घर भागने वालों में सिद्धार्थनगर अव्वल, अब तक डेढ़ लाख लोग आये
— नहीं रूक रहा घर वापसी का सिलसिला, अभी भी मुम्बई में फंसे हैं लाखों मजदूर कामगार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। करोना के खौफ से शहर छोड़ कर वतन के लिए भाग रहे लोगों का सिलसिला जारी है। सर्वाधिक भागमभाग पूर्वी उत्तर प्रदेश के मजदूरों में है। इनमें भागने वालों में होड़ मची है।शासन के मुताबिक अब तक सिद्धार्थनगर में 1.47 लाख मजदूर लौट चुके हैं। पलायन की यह दर सिद्धार्थनगर में सबसे ज्यादा है।
यूपी शासन के अपर मुख्य सचिव के मुताबिक लाकडाउन के दौरान 26 मई तक प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लगभग 21 लाख से अधिक लोग आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि जनपद सिद्धार्थनगर में अब तक 1,47,056 मजदूर धरों को पहुंच चुके हैं।इसके बरअक्स, महाराजगंज में 1,03,786, बहराइच में 94,654, गोण्डा में 83,539, बस्ती में 72,795, बलरामपुर में 70,512, संत कबीरनगर में 68,997, सहारनपुर में 68,841, आजमगढ़ में 68,099, जौनपुर में 61,765 लोग आये हैं। इसके अलावा अभी आने वाले मजदूरों का सिलसिला जारी है।
बताया जाता है कि मुम्बई, दिल्ली आदि महानगरों में काम धंधा करने वालों में सिद्धार्थनगर के लोगों की तादाद अन्य जिलों के बराबर ही है। लेकिन सद्धार्थनगर के रहिवासियों में मजदूरों की तादाद बहुत ज्यादा है। इसी कारणउनकी आवासीय समस्या भी बड़ी है तथा एक एक कमरे में औसतनदस दस मजदूर भेड़ बकरियों की तरह रहते हैं।
इस कारण लाकडाउन में सबसे ज्यादा भागने की जल्दी उन्हें ही थी। इसलिए दर्जन भर से अधिक मजदूरों को मौत का सामना भी करना पड़ा है। मुम्बई से आने वाले अवधराम का कहना है कि अगर केन्द्र सरकार समय से रेलगाड़ियां उपलब्ध करा देती तो मजदूर बड़े आराम से अपने किराये भाड़े से आ सकते थे, मगर रेलें तब चली जब मजदूर की जेब खाली हो चुकी थी। इसलिए उन्हें अमानवीय संकट से गुजरना पड़ा।