कूटनीतिः विवादों के बीच नेपाल दे रहा भारत के ग्रामीणों को नेपाली नागरिकता का लालीपाप

June 21, 2020 1:14 PM0 commentsViews: 844
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 नेपाल से पी.पी. उपाध्याय

कृष्णानगर, नेपाल। पडोसी देश नेपाल के सदन में नया नक्शा पास कराने के बाद नेपाल के ओली सरकार ने  भारत  के गुंजी, नाबी और कुटी गांवों की तीन हजार की आबादी को नेपाली नागरिकता प्रदान करने का झुनझुना घोषित किया है। यद्यपि भारत नेपाल से हर सीमा विवाद को आपसी बातचीत के जरिए सुलझाना चाह रहा है। जानकार इसे एक कूटनीतिक कदम मान रहे। क्सोंकि यी सभी को पता है कि नेपाल के इस कदम से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।

 खबर है कि नेपाल ने भारत के  तीनों गांवों की भूमि को अपने राजनीतिक नक्शे में शामिल कर लिया है। नेपाल के एक अधिकारी का कहना है  तीन गांवों के ग्रामीणों के पास भारत के आधार कार्ड होंगे परंतु वह भूमि अब नेपाल के राजनीतिक नक्शे में है । ऐसे में गांव के लोग नेपाली नागरिक लेना चाहते हैं तो नेपाल सरकार उन लोगों को नागरिकता दे सकती है।  कहा जाता है कि इन तीन गांवों की जनसंख्या लगभग तीन हजार के आसपास है। नेपाल सरकार का जो अधिकृत  नक्शा बना है, उसमें  व्यास गांवपालिका को नेपाल में शामिल किया गया है। बताया जाता है कि व्यास  गांवपालिका में तीन ग्राम गुंजी, नाबी और कुटी आते हैं गांव के निवासी भारत सरकार के उच्च पदों पर आसीन हैं। कालापानी, लिपुलेक और लिम्पियाधुरा क्षेत्र में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल भारी संख्या में तैनात है।

नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा बनाकर भारत के सीमा विवाद को बड़ा तूल दे दिया है। भारत और नेपाल दोनों ही देश सुगौली संधि की बात करते हैं, जिसके चलते नेपाल को भारत की उसकी जमीन वापस करनी पड़ी थी।नेपाल के कुछ हिस्सों को ब्रिटिश भारत में शामिल करने, काठमांडू में एक ब्रिटिश प्रतिनिधि की नियुक्ति और ब्रिटेन की सैन्य सेवाओं में गोरखाओं को भर्ती करने की अनुमति दी गई थी।  सुगौली संधि में ये साफ था कि नेपाल अब अपनी किसी भी सेवा में किसी अमेरिकी या यूरोपीय कर्मचारी की नियुक्त नहीं कर सकता है। सुगौली संधि में नेपाल नरेश द्वारा जीत कर अपने नियंत्रण ले लिए गए  भूभाग का लगभग एक तिहाई हिस्सा गंवा दिया गया था।

क्या है वर्तमान विवाद और सुगौली संधि 

सुगौली संधि सन 1816 में बिहार के सुगौली नामक स्थान पर हुई थी। इस संधि  से भारत को अपने हारे हुए इलाके वापस मिल गये। संधि के तहत ही जो इलाके अब भारत में हैं, वो उसके पास आ गए, जिस पर नेपाल अपना दावा जता रहा है। सुगौली संधि में इस बात का उल्लेख है की.ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा के बीच हमेशा शांति और मित्रता रहेगी। नेपाल के राजा उस सारी भूमि के दावों को छोड़ देंगे, जो युद्ध से पहले दोनो राष्ट्रों के मध्य विवाद का विषय थे। उन भूमियों की संप्रभुता पर कंपनी के अधिकार को स्वीकार करने के बाद ही संधि पर हस्ताक्षर हैं। कहा जाता है कि 1805 में नेपाल ने भारतीय रियासतों से कई इलाके हड़पकर विस्तार किया था, जिससे नेपाल की पश्चिमी सीमा कांगड़ा के निकट सतलुज नदी तक पहुंच गई थी।

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