सिद्धार्थनगर के शातिर मास्टरमाइंड का दिलचस्प सफर, ऑनलाइन ठगी से पार्टी ड्रग की तस्करी तक
नजीर मलिक
पूर्वी दिल्ली में साढे तीन करोड के ड्रग के साथ पकडे गये मास्टर माइंड और सिद्धार्थनगर के रहने वाले भानु प्रताप तिवारी के अपराध की डगर पर चलने का रास्ता बहुत दिलचस्प है। भानू भी अपनी जिंदगी को लेकर सपने बुनने वाला एक आम नौजवान था, लकिन हालात ने उसे ऐसे मुकाम पर ला पटका, जहां से आगे बढने के लिए अपराध की सुरंग से गुजरने के अलावा उसके पास और कोई रास्ता ही न था।
डीसीपी मंदीप सिंह रंधावा से पूछताछ में भानू प्रताप तिवारी ने अपने सफर का पूरा ब्यौरा पेश किया है। भानू ने बताया कि सिद्धार्थनगर बांसी इलाके के ग्राम पिपरा पडरूपुर निवासी उसके पिता त्रिलोकी प्रसाद तिवारी मुंबई में बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान चलाते थे।
दुकान में हाथ बंटाने के लिए वह भी 2002 में मुंबई गया। त्रिलोकी और भानू गुजरात के बिल्डरों को बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई करते थे, लेकिन 2002 में कच्छ में आए भूकंप के बाद बिल्डरों की हालत खराब हो गई। गुजराती बिल्डरों ने भानू की दुकान से उठाए माल का पैसा भी नहीं दिया, जिसकी वजह से पिता–पुत्र की दुकान लगभग बैठ गई। मुंबई में कर्जदार हो जाने की वजह से त्रिलोकी को सिद्धार्थनगर में अपनी जमीन का हिस्सा तक बेचना पड़ा।
इसके बाद काम की तलाश में भानू नासिक चला गया जहां उसे एक प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल गई। मगर पिछले साल भानू नासिक छोड़कर दिल्ली आ गया। यहां उसने ऑनलाइन ठगी करने वाली एक कंपनी में नौकरी की। 8 महीने में ऑनलाइन ठगी का पूरा सिस्टम समझने के बाद भानू ने यह नौकरी छोड़ दी और ऑनलाइन ठगी की अपनी कंपनी शुरू की।
भानू ने अपना अड्डा दिल्ली की बजाय शिमला में बनाया और देश के अलग.अलग हिस्से से लोगों को ठगने लगा। ठगी का काम चल निकलने के बाद भानू पिछले हफ्ते कंप्यूटर खरीदने दिल्ली आया था। यहां इसकी मुलाकात दिल्ली के ही अमित राठी और संदीप उर्फ संजू से हुई। भानू दोनों को पहले से जानता था। भानू ने दोनों से कहा कि आजकल वह बेरोजगार है।
डीसीपी मनदीप सिंह रंधावा ने बताया कि भानू को 3 दिन पहले अमित और संदीप ने फोन करके छतरपुर के एक होटल में बुलाया। दोनों ने कहा कि एक कार छतरपुर से मूलचंद मेट्रो स्टेशन तक ड्राइव करनी है। इसकी एवज में उसे 10 हजार रुपए मिलेंगे।
दोनों ने भानू को बताया कि कार में एफिड्रिन (नशीली ड्रग) रखी होगी जिसे मूलचंद मेट्रो स्टेशन के पास एक पार्टी तक पहुंचाना है। भानू इस काम के लिए तैयार हो गया। संदीप और अमित ने एक और शख्स की मदद मांगी तो भानू अपने साले राजेश कुमार पाठक निवासी बनकटा, थाना खेसरहा को साथ ले आया। राजेश दिल्ली में एक गैस एजेंसी के लिए सिलेंडर सप्लाई करने का काम करता है।
रंधावा ने बताया कि भानू और राजेश 9 अक्टूबर को छतरपुर में अमित राठी से मिले जिसने दोनों को मामू से मिलवाया। अमित ने कहा कि कार में हम चारों होंगे। मामू के पास एक पिस्टल है। अगर रास्ते में कोई गड़बड़ हुई तो वह हालात संभाल लेगा।
इसके बाद अमित ने अपनी ऑल्टो कार में एफिड्रिन से भरे दो ड्रम रखे। फिर चारों डिलेवरी के लिए मूलचंद मेट्रो स्टेशन की तरफ निकल पड़े। मगर मूलचंद से ठीक पहले अमर कॉलोनी थाना पड़ता है जहां पुलिस ने इन्हें दबोच लिया।
डीसीपी रंधावा के मुताबिक तकरीबन 10 बजे रात में सब इंस्पेक्टर ओम प्रकाश सर्विस लेन में पेट्रोलिंग कर रहे थे। तभी उन्होंने लाजपत नगर स्थित आईसीआईसीआई बैंक के बगल में संदिग्ध ऑल्टो को देखा। कार सर्विस लेन में खड़ी हुई थी और उसपर काले रंग की फिल्म चढ़ी हुई थी। कार के साथ चार लोग दिख रहे थे।
दो अंदर बैठे थे जबकि दो बाहर खड़े थे। मगर पुलिस टीम को अपने करीब देखकर चारों तितर-बितर होने लगे। कार का काला शीशा और अचानक हुई हलचल से पुलिस टीम को गड़बड़ी का अंदाजा हो गया।
सब इंस्पेक्टर ने दौड़ा कर कार समेत दो संदिग्धों को दबोच लिया। गाड़ी की तलाशी लेने पर ड्रग्स के दोनों ड्रम और हथियार बरामद हो गये। डीसीपी के मुताबिक 51.19 किलोग्राम एफिड्रिन की कीमत इंटरनैशनल मार्केट में साढ़े तीन करोड़ रुपए है। दोनों की शिनाख्त भानू प्रताप तिवारी और राजेश कुमार पाठक के रूप में हुई। भागे हुए शख्स अमित राठी और मामू की तलाश जारी है।