इटवा का हथपरा कांडः असली कहानी छुपा रही मीडिया, सच यह है कि बाहरी दंगाइयों द्वारा 15 घर में लूटपाट हुई
— गांव के १५ घरों में तोड़फोड़, लूटपाट हुई, एक भुसैला फूंका गया ,गांव के कब्रिस्तान की बाउंड्री भी ढहा दी गई
— पुलिस ने लाठी चार्ज किया, मगर अंत में बाहर से आए अराजक तत्वों के उन्मादी नारों के सामने असहाय हो गई
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर जिले के इटवा तहसील के गांव हथपरा में सम्पत्ति विवाद को लेकर मारपीट की एक घटना को आसामाजिक तत्वों ने जिस प्रकार साम्प्रदायिक विवाद बना दिया वह गैर इंसानी और शर्मनाक है। पांच दिन पहले की घटना के बाद भी अभी वहां के अल्पसंख्यकों में डर समाया है। कई लोग घर छोड़ कर भागे हुए है और लगभग एक दर्जन से अधिक लुटे पिटे अल्पसंख्यक अभी भी भय के माहौल में जी रहे हैं। गांव में पुलिस और पीएसी अभी भी तैनात है। इस भय से गांव में पूरी तरह खामोशी छायी है, लेकिन अंदरूनी तनाव बना हुआ है। गांव के एक वर्ग का मानना है कि आखिर पुलिस कब तक उनकी सुरक्षा करेगी। इस लिए खामोश रहना ही उचित है।
गांव में चार दिन पूर्व दो परिवारों के बीच सम्पत्ति विवाद को लेकर मारपीट हुई थी। कई चोटिल भी हुए थे। दोनों परिवार अलग अलग सम्प्रदाय के थे। इस झगड़े में लगी चोट के कारण ध्रुवराज चौधरी नामक एक बुजुर्ग की मौत हो गई। बस इसी को लेकर समाज विरोधी तत्वों को अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का मौका मिल गया। घटना के दूसरे दिन सवेरे से ही गांव में बाहरी तत्वों का जमावड़ा होने लगा। भड़काऊ नारे लगने लगे, एक समुदाय विशेष को सबक सिखाने की बातें होने लगी। इसी के साथ तू तड़ाक हुई फिर गांव में लूटपाट होने लगी। यह कृत्य करने वाले वाले लोग गांव के नहीं थे। वे आसपास के गांवों से आये थे। घटना की विडियों में उन्हें सामान लेकर भागते देखा जा सकता है।
किसके किसके घर में लूटपाट हुई
गांव वाले बताते हैं कि राही, छोटके, मुहम्मद हसन, दलकाहे, कासिम खान, मौलाना इकबाल, मौलाना शमीम, मौलाना बदरुज्जमा, ताहिरा, अकबर अली, अवेश, मुबीन, अख्तर खान, भदेली व रईस खान (कुल 15 घर) के घरों में जबरन घुस कर लोग सामान लूट कर भागने लगे। उनमें चार घरों को पूरी तरह लूट कर बर्बाद कर दिया गया। कई घर अभी भी अस्त व्यस्त रूप में पड़े हैं। घटना में राही, छोटके और शमीम के घर ऐसे लूटे गये कि वहां कुछ भी नहीं बचा। गांव के पूरब स्थित कब्रिस्तान की बाउंड्री तोड़ डाली गई व एक भुसैले को भी आग के हवाले कर दिया गया।
कैमरा/ विडियो झूठ नहीं बोलता
हथपरा कांड के अनेक विडियो घटना की भीषणता बताते हैं। विडियो को देखने से प्रतीत हाता है कि पुलिस ने पहले लाठिया भांज कर उपद्रवियों ठीक करने का प्रयास किया, मगर उपद्रवियों ने धार्मिक नारे लगा कर तथा पुलिस को सरकार की तरफ से नुकसान कराने की धमकी देकर निष्क्रिय कर दिया। एक अन्य विडयो में उपद्रवी, लोगों के घरों का सामान लेकर भागते स्पष्ट देखे जा सकते हैं। ग्रामवासी भयभीत है वे अपना नाम नहीं देना चाहते परन्तु इतना जरूर कहते है कि यह एक तरफा लूट की कार्रवाई थी। जो बाहरी लोगों ने अंजाम दिया। उनमें कई चेहरे पास पड़ोस के गांवों के थे।
इससे पहले भी हथपरा में लूटे जा चुके हैं अल्पसंख्यक
हथपरा गांव में साम्प्रदायिक लूटपाट की यह दूसरी घटना है। पहली घटना 1991 के आसपास हुई थी। तब भी हथपरा में गोवध की अफवाह फैला कर गांव के अल्पयंख्यक घरों में लूट पाट की गई थी। उस समय त्रिलोकपुर थानाध्यक्ष राजमणि रकेश थे। उनके तमाम प्रयासों के बाद भी अल्पसंख्यकों के लगभग एक दर्जन घर लूट लिये गये थे। आगजनी भी हुई थी। तब देश की प्रमुख पत्रकार सीमा मुस्तफा ने इस कांड का सच उजागर कर साम्प्रदायिक तत्वों को बेनकाब किया था। तब वे यहां से चुनाव लड़ने आई थीं।
सवाल प्रशासन और मीडिया से
इस पूरे घटनाक्रम में प्रशासन दबाव में दिखता है। बवाल काटने वाले लोग सियासी हैं। इसी करण प्रशासन मामले को ज्यादा खुलने नहीं देना चाह रहा है। इसी लिए इतने बडी घटना के बाद कई खास लोगों की गिरफ्तारी तक नहीं की गई। रही बात मीडिया की तो वह तो गोदी मीडिया कही जाती है। जो थोड़ा बहुत सच मौके पर देखने को मिला उसे भी समाचारपत्रों व चैनलों में जगह नहीं दी गई। देश के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ठीक ही कहते हैं कि जनता द्वारा अब गोदी मीडिया का बहिष्कार करने का वक्त आ गया है।