वार्ड नम्बर 22 में उम्मीदवार नहीं दिग्गजों की परछाइयां लड़ रहीं, कमाल, सैयदा और राही की साख दांव पर

October 14, 2015 4:40 PM0 commentsViews: 520
Share news

नजीर मलिक

cover

जबरदस्त है वार्ड नम्बर 22 का चुनाव। अगर यह कहा जाये कि इस चुनाव में प्रत्याशी तो परछाईं मात्र हैं, जो अपने सरपरस्तों की इज्जत के लिए तलवारें भांज रही हैं, तो गलत न होगा।

महिला के लिए रिजर्व इस सीट पर कुल चौदह उम्मीदवार हैं। इनमें तकरीबन आधा दर्जन उम्मीदवार गांवों की घूल फांक रहे हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस इलाके में 9 उम्मीदवार माइनारिटी से हैं।

यहां से फैजान अहमद शब्लू की पत्नी चंदनी परवीन बसपा से, अम्बेडकरवादी अनिल गौतम की पत्नी सुमन गौतम निर्दल, प्रतिमा अग्रहरि भाजपा समर्थित, सरफराज राही की पत्नी सबीहा खातून और अब्दुल कलाम की पत्नी नजमा के बीच मुकाबला चल रहा है।

शब्लू बसपा नैता सैयदा मलिक के कटृटर समर्थक माने जाते हैं। सैयदा ने उनके चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है, तो डुमरियागंज के विधायक मलिक कमाल यूसुफ की पूरी प्रतिष्ठा आने भक्त अनिल गौतम की पत्नी सुमन के लिए लगी हुई है।

दूसरी तरफ सबीहा के श्वसुर राही बस्तवी हैं, जो देश भर में पहचान रखने वाले शायरों में शुमार हैं। इसके अलावा भाजपा की प्रतिमा अग्रहरि व अब्दुल कलाम की पत्नी नजमा भी दम खम से मैदान में हैं।

हालांकि पहली नजर में चांदनी परवीन की लड़ाई सुमन गौतम और प्रतिमा अग्रहिर के बीच दिख रही है। सबीहा और नजमा के सरपरस्त इसे पंचकोणीय बनाने में लगे हैं। लेकिन चांदनी के सामने सबसे बड़ा खतरा सबीहा हैं। दरअसल उनके श्वसुर राही बस्तवी सैयदा के पिता स्व विधायक तौफीक अहमद के करीबियों में रहे हैं।

इसलिए उनका समर्थक वोट वही है, जो सैयदा मलिक का है। अगर इस वोट बैंक में बड़ा विभाजन हुआ तो तो चांदनी परवीन को घाटा होगा। हालांकि चांदनी की मदद के लिए मुम्बई की लाबी भी उतरी हुई है। उसका कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।

दूसरी तरफ सुमन गौतम के सरपरस्त विधायक कमाल यूसुफ हैं। इलाके में कमाल यूसुफ की पैठ जग जाहिर है। सुमन गौतम दलित हैं, वह जनता के बीच रहते है। इसलिए मलिक कमाल के समर्थन के बाद उन्हें कमजाेर समझना भारी भूल होगी।

इस इलाके में भाजपा के प्रतिबद्ध वोट हैं, जो खामोशी से प्रतिमा अग्रहरि को जायेंगे। उन्हें मुस्लिम मतों के बंटवारे पर भरोसा है। इसलिए कि आर पार की लड़ाई में भाजपा इस वार्ड से जीतने वाली नहीं।

चौकनियां के कलाम की पत्नी नजमा का असर भी इलाके में देखा जा रहा है इसके अलावा साजिदा, शाहीन शगुफता आदि के सरपरस्त भी मैदान में डटे हुए हैं।

आम ख्याल है कि लड़ाई अंत में तिकोनी ही होगी। फिलहाल चांदनी, सुमन और प्रतिमा का अनुमान है, लेकिन कोई चौथा पांचवा भी अचानक जीत का परचम लहरा दे तो ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए।

Leave a Reply