हाय रेे महंगाईǃ सब्जियों के रेट आसमान पर, जनता बेहाल, बनियों बिचौलियोंं की चांदी
महेंद्र कुमार गौतम
बाँसी, सिद्धार्थनगर। कोरोना काल में आम जनता वैसे भी बेरोजगारी की मार झेल रही और आवश्यक वस्तुओं विशेष कर सब्जियों के दाम में आया उछाल जले पर नमक छिड़कने के समान है।यह काम व्यवस्था केलिए कितनी शर्मनाक है कि जिस सब्जी को व्यापारीगण किसान से खाक के भाव में खरीदते हैं, वही नागरिकों से लाख के भाव बेचते हैं।
सब्जियों के साथ घरेलू रोजमर्रा की कीमतों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि ने घर का बजट पूरी तरह बिगाड़ कर रख दिया है। जहाँ अकेले आलू की कीमतें 50 से 60 रुपये बीच हैं तो वही टमाटर गोभी प्याज की कीमतें भी बेकाबू होकर आसमान छू रही हैं। आढ़ती ये सब्जियां किसानों से कौड़ियों के मोल खरीद कर जनता से भारी कीमत पर बेचते हैं। इस प्रकार जनता और किसान दोनों को लूटते रहतेे हैं।
बता दें कि सबसे ज़्यादा महंगाई आलू की है, जबकि उद्यान निदेशालय के अनुसार अभी भी कोल्ड स्टोरेज में 30.56 लाख मैट्रिक टन आलू का भंडार है, जिसमे 22 लाख मैट्रिक टन आलू खाने हेतु उपलब्ध है। परंतु व्यापारियों के जमाखोरी के चलते आम जनता मंहंगा आलू खरीदने पर मजबूर है। ज्ञात रहे कि गरीबों मजदूरों व निम्न मध्य वर्ग के लिए आलू बहुत महत्वपूर्ण व कम पैसे मेंमिलने वाली सब्जी में शामिल है। मगर अब आलू खरीदना भी उसके बश से बाहर होता जा रहा है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम (EC एक्ट) से आलू प्याज को बाहर रखने के कारण शाशन प्रशासन भी दाम पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा। व्यापारी कितना भी स्टॉक रखे या किस रेट पर बेंचे, एक्ट से बाहर होने पर कोई कार्यवाही भी नही हो सकती। जिसका फायदा जमाखोरी करने वाले व्यापारी ले रहे और आम जनता महँगाई के बीच पिस रही है।