सियासी दलों की नजर में बेदाग छवि के बल पर गणेश शंकर इस बार बनेंगे पूरबिया चुनाव के ट्रंपकार्ड
नजीर मलिक
मई में त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव खत्म होते ही जून से विधानसभा चुनावों का बिगुल बजना शुरू हो जाएगा। इसलिए सियासी दलों का शीर्ष नेतृत्व अभी से हवा का रुख अपने पक्ष में मोड़ने के प्रयास में लगा है। इसी के तहत पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मत को अपने खेमे में खीचने के लिए सपा, बसपा व कांग्रेस आदि कई दल उत्तर प्रदेश में सक्रिय हो गये हैं। इसी क्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, एवं बेहद साफ सुथरी छवि के मालिक गणेश शंकर पांडेय को अपने खेमे में लाने की रणनीति पर काम होने लगा है। जिसे देख कर कहा जा सकता है कि राजनीति में बेदाग और ईमानदार छवि वाले गणेश शंकर पांडेय इस बार यूपी की पुरबिया चुनाव के ट्रंपकार्ड साबित हो जाएं तो किसी को ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
सभी दलों में स्वीकार्य हैं पूर्व सभापति
गौरतलब है कि गणेश शंकर पांडेय अभी बसपा में हैं। वे इस दल से विधान परिषद में सभापति भी रह चुके हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के दिग्गज ब्राहृमण परिवार पंडित हरिशंकर तिवारी के घराने से सम्बद्ध होने तथा राजनीति में शुचिता व ईमानदारी का पर्याय बन चुके गणेश शंकर पांडेय वर्तमान में पूर्वाचल की एक बड़ी राजनीतिक ताकत हैं तथा वे आस पास के जिलों के ब्राह्मण समाज में काफी प्रभाव रखते हैं। यही कारण है कि बसपा से राजनीति करने के बावजूद भाजपा के लोग भी उनके प्रति सम्मान का भाव रखते हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी उनके मधुर सम्बंध बताये जाते हैं।
सर्वाधिक सक्रिय है समाजवादी पार्टी
खबर है कि ब्राह्मण समाज में गणेश शंकर पांडेय की लोकप्रियता और प्रभाव का लाभ उठाने के लिए कई राजनीतिक दल उन पर डोरे डाल रहे हैं। इस क्रम में सबसे ज्यादा प्रयास समाजवादी पार्टी की तरफ से हो रहा है। बताते हैं कि समाजवादी ने इसके लिए लम्भुआ के पूर्व सपा विधायक संतोष पांडेय को इस मिशन को सफल बनाने के लिए लगाया था। लेकिन गणेश शंकर ने तब कोई जवाब नहीं दिया था। फिलहाल गणेश शंकर जी अपनी परंपरात सीट पनियरा के अलावा अपने पुत्र संतोष पांडेय को चुनाव लड़ाने के लिए नया क्षेत्र व नई जमीन तैयार कर रहे हैं। खबर है कि गणेश शंकर पांडेय व उनके बेटे को मनचाही सीट देकर सपा अपने खेमे में लाने को कटिबद्ध है। खबर है कि सपा उन्हें सह समझााने में ली है किे अब बसपा और मायावती के प्रभाव मात्र ५० प्रतिशत दलित वोटों पर रह गया है। ऐसे में उन्हें निर्णय लेने में नहीं हिचकना चाहिए।
दरअसल सपा पूर्वांचल के ब्राह्मणों में पंडित हरिशंकर तिवारी व गणेश शंकर पांडेय के प्रभाव से परिचित है। इधर ब्राह्मण भाजपा से कुछ खिन्न भी है, यही नहीं सपा गणेश शंकर की साफ सुथरी और ईमानदार छवि से भी परिचित है। इसलिए उसका मानना है कि गणेश शंकर पांडेय अगले चुनाव में उसके लिए ट्रंपकार्ड साबित हो सकते हैं। यही कारण है कि सपा गणेश शंकर पांडेय को सपा में शामिल कराने के लिए छटपटा रही है। यदि भविष्य में ऐसे संभव हुआ तो भाजपा के लिए अलाभकारी तो होगा ही, पूर्वाचल में सपा मजबूत ताकत बन का उभर सकेगी।
अभी कोई निर्णय नहीं ले रहे गणेश शंकर
बहरहाल गणेश शंकर पंडेय ने अभी सपा में आने से परहेज कर रखा है, परन्तु वे अपने पुत्र संतोष के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने में लगे हैं। वे कहां से लड़ेंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है। परन्तु सपा के करीबी सूत्रों का मानना है कि आने वाले दिनों वह गणेश शंकर को सपा में शामिल कराने में सफल हो सकेगी। उक्त सूत्र का कहना है कि तब गणेश शंकर पांडेय पूर्वांचल के चुनावी खेल में उसके लिए मास्टर स्ट्रोक साबित होगें। लेकिन इस बारे में स्वयं गणेश शंकर क्या सोचते हैं, यह स्पष्ट नहीं है। इस बारे में उनके करीबी कहते हैं कि गणेश जी फिलहाल बसपा में हैं। वे क्षेत्र के लोगों को होली व शब ए बारात की शुभकामनाएं देने के लिए गोरखपुर-महाजगंज में घूम रहे हैं।
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
इस बारे में गोरखपुर के एक राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि वर्तमान में ब्राह्मण साज का बडा भाग भाजपा से कई कारणों से खिन्न है, परन्तु अभी वह कहीं जाने के बारे में निर्णय नहीं पा रहा है। ऐसे में यदि पूर्व सभापति जी जिस राननीतिक दल में रहेंगे वहां ब्रा्हमण समाज को जाने में सहूलियत होगी। क्योंकि वह उनकी राजनीतिक हैसियत से मिलने वाले लाभ को बखूबी समझता है। ऐसे में इस बार गणेश शंकर पांडेय जिस पार्टी में रहेंगे वह लाभ की स्थिति में रहेगी और वह पूर्वचल में चुनाव के यकीनन ट्रंपकार्ड साबित होंगे।