पूर्वांचल के पुरोधा पंडित हरिशंकर तिवारी के जन्मदिन पर उनके कुछ गुदगुदाने वाले सच
गोरखपुर के पंडित हशिंकर तिवारी का नाम सर्व विदित है। ब्राह्मण समाज उन्हें अपना नेता मानता है तो विरोधी उन्हें अतीत का मफिया के आरोप से नवाजते हैं। राजनीति में उन्होंने शिखर को छुआ है। तो कारोबार में भी कामयाबी के परचम लहराये हैं। आज वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण शिरोमणि के रूप में जाने जाते हैं। कल उनका 87 वां जन्मदिन था, जिसे उन्होंने पूर जीवंतता के साथ मनाया। जो हरिशंकर तिवारी युवावस्था में विवादित चरित्र के रूप में जाने गये, वह वास्तविक वास्तबिक जीवन में तिने सरल थे, इस सच्चाई को उन्हें बेहद करीब से जानने वाले बड़हलगंज निवासी श्री वशिष्ठ दुबे ने बड़ी सुन्दर शैली में पाठकों के समक्ष रखा है। प्रस्तुत दुबे का राइट अप।
बड़हलगंज, गोरखपुर। पंडित (हशिंकर तिवारी) जी गांव (टांडा) आये हुए थे। सुबह सुबह मैं उनसे मिलने पहुंचा, नंग धडंग आई मीन केवल धोती पर थे। मैंने पूछा कोई नेकेड सीन करना है क्या ? हां हां करबे करब अपने गावें से केहू के भेजवाव …
वही बगल में एक पौधा लगा था …. मैंने पूछा ..इ केथुआक क पौधा हवे ………….मेरा हाथ पकड़ कर वे थोड़ा किनारे और मेरे कान के पास मुंह लाकर बोले …. चुप चुप कल्ले से बोल इ बदामें क पेड़ हवे ..अब्बे गऊआं वाले जान जइहै त पेड़वे तूर दिहन .@ इस सादगी पर कौन ना मर जाए ऐ खुदा …………. मैं देर तक मुस्कराता रहा .
चिल्लूपार में चुनाव चल रहे थे। अंतर्राष्ट्रीय मिडिया की निगाह लगी थी। प्रख्यात पत्रकार अरुण शौरी जी भी पूर्वांचल कवर करते हुए चिल्लूपार पधारे। उन्होंने पंडित जी से लम्बी बात की। बातों के इस सिलसिले में शौरी साहब ने सवाल किया। लोग कहते हैं आप माफिया डॉन हैं?
“लोग तो आपको सी आई का एजेंट बताते हैं” पंडित जी की इस हाज़िर जबाबी पर शौरी पहले तो झेंपे, फिर उन्होंने जोरदार ठहाका लगाया और बोले, ”न तो आप माफिया हो और न ही मैं सी आई एजेंट।” तो आइये उनके जन्मदिन पर उस बच्चे वाले दिल, जवानों के हौसले और बूढी काया वाले को सलाम करें।