36 घंटे बाद भी नहीं मिलीं तीनों मासूमों की लाशें, एनडीआरएफ की टीम निराश, परिजनों में मातम का माहौल
परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल, घटना के तीसरे दिन भी पीड़ित परिवारों के घर पर संवेदना व्यक्त करने वालों का लग रहा तांता
बांसी स्थित राप्ती पुल के पूरब नदी में लाशों तलाश करती गोताखोरों की टीम और तट पर खड़े उपनगरवासी
नजीर मलिक
बांसी। उपनगर से सटी राप्ती नदी में नहाने के दौरान डूबे तीनो किशोरों की घटना के 36 घंटे बाद भी लाश बरामद नहीं हो पाई है। हालांकि गोरखपुर से आई एनडीआरएफ के एक्सपर्ट गोताखोरों ने रविवार को पूरे दिन बच्चों की लाशों की तलाश की। गोताखोरों की निराशा के बाद बच्चों के परिजनों द्धारा उनके शव को आखिरी दर्शन नहीं हो पाने की दुख ने तोड़ कर रख दिया है। परिवार के पुरुष जहां भीगी आखों से अब भी किसी चमत्कार की आशा लगाये हुए हैं वहीं बच्चों की मां समेत परिवार की अन्य महिलाओं का दहाड़ें मार कर रुदन करना बांसी के लोगों को तड़प जाने कों को मजबूर कर रहा है। बांसी कस्बे के लोग कल सारा दिन किशोरों के लाश मिलने न मिलने के बारे में पल पल की जानकारी लेते रहे।
बताते चलें कि बांसी कस्बे के अंश सैनी (15) पुत्र राकेश सैनी, राजनाथ (15) पुत्र दयाशंकर निवासी मोहल्ला श्याम नगर व सुजल श्रीवास्तव (14) पुत्र धमेंद्र श्रीवास्तव निवासी मोहल्ला अकबर नगर शनिवार अपरान्ह् राप्ती नदी में नहाते समय डूब गये थे। कक्षा नौ मे पढ़ने वाले तीनों बालक आपस में मित्र भी थे। नदी के किनारे उनके कपड़े व चप्पल मिले थे। घटना की शाम स्थानीय गोताखोरों और रविवार पूरा दिन एनडीआरएफ की टीम ने उनकी लाशों की तलाश किया मगर अंत में निराशा ही हाथ आई।
कल एनडीआरएफ के गोताखोरों द्धारा नदी में कई किती तक लाश की तलाश का मंजर देखने के लिए राप्ती नदी के तट पर दर दूर तक नगर व आसपास के गांव के नागरिकों की भीड़ जामा रही। तहसीलदार अरुण कुमार वर्मा, सीओ देवी गुलाम सिंह कोतवाल संजय कुमार मिश्र, हल्का लेखपाल गिरीश श्रीवास्तव सहित भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद रही।
मामले की जानकारी मिलने के बाद राप्ती नदी तट पर विधायक जय प्रताप सिंह, नगर पालिका अध्यक्ष मो. इदरीश पटवारी, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष चमन आरा राईनी भी मौके पर पहुंचे। नदी में नहाने गए बच्चों के न मिलने से परिजनो का तो रो-रोकर बुरा हाल है। तीनों मरिवारों के घर पर मातम का माहौल बन गया है। इसके अलावा पूरे नगर के लोग शोकाकुल है। तीनों बच्चों के परिजनों को नदी तट पर रोते बिलखते देख कर अनेक लोगों की भी आंखें भीगती रहीं। इन बच्चों के घरों सोमवार की सुबह से ही सांत्वना देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है।