फिर हुई बड़ी जालसाजी, गंम्भीर अपराधों का क्राइम हब बन रहा डुमरियांगंज
सन 2012 में हुआ था प्रदेश का सबसे बड़ा जाली नोट कांड, बरामद हुए थे पांच करोड़ रूपये
फर्जी गाड़िया बेचने, जाली दस्तावेज बनाने वालों के बड़े रैकेट काम कर चुके हैं डुमरियागंज में
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जाली प्रमाणपत्र बनाने वाले रैकेट के सदस्य पकडे जाने के बाद डुमरियागंज क्षेत्रएक बार पुनः सुर्खियों में हैं। हालांकि अभी फर्जी कागजात पर सरकारी नौकरियां दिलाने वाला एक शातिर सरगना पलिस की नजरों से दूर है। इससे पूर्व भी डुमरियागंज में फर्जीवाड़ा की बड़ी बड़ी घटनाएं हो चुकी है।जिस करण से डुमरियागंज न केवल गंभीर अपराधों का क्राइम हब बनता जा रहा है बल्कि इसे लेकर वह प्रदेश स्तर पर चर्चित होता जा रहा है।
गत मंगलवार की रात को पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम ने क्षेत्र के एकनिजी आईटीअरई कालेज के प्रबंधक श्याम जी चौधरी को हिरासत में लिया। उनकी निशानदेही पर रमेश यदव व श्याम जी चौधरी को दबोजा तो पता चला की सभी मिल कर युवकों को फर्जी प्रमाणपत्र देने के एवज में भी धन वसूलते थे। वे पीजीडीसीए, डीसीए, ओ लेबल सर्टफिकेट व बाम्बे आर्ट जैसे महत्वपूर्ण उपाधियों के सर्टिफिकेट बेचते थे। उनके पास से मुहरें, अंकपत्र, प्रमाणपत्र व परीक्षा की कापियां भी बरामद हुईं। इन सब अभिलेखों को रखना भी गैरकनूनी है। इस धंधे में इसगिरोह ने करोड़ों रूपये युवकों से ठगे हैं। अपर पलिस अधीक्षक सुरेश चन्द्र रावत के अनुसार यह जालसाजी कई वर्षों से चल रही थी।
रेल टिकट घोटाला कांड
डुमरियागंज क्षेत्र में इस प्रकार के गंभीर अपराध अब धड़ल्ले से होने लगे हैं। पाठकों को याद होगा कि 2012 सीबीआई ने यहीं से सलमन नामक एक युवक को पकड़ा था, जिस पर आरोप था कि वह भारतीय रेल की बेबसाइट हैक कर लाखों रूपये का रेलवे का टिकट बेचता था। जनता को टिकट मिल जाते थे लेकिन उसका पैसा सरकार को नहीं मिलता था। यह अपने तरह की अनोखी जालसाजी थी, जिसे करने के लिए तकनीकी महारथ की जरूरत थी, मगर सलमान ने इस छोटी जगह में बैठ कर संभव बना दिया। यी नहीं इस साफ्ट वेयर को और लागों से बेच कर भी सलमान ने लाखों रूपये बनाए। अंत में उसे सीबीआई ने अरेसट करने में सफलता प्राप्त की।
5 करोड़ का जाली नोट कांड
2008 में डुमरियागंज के स्टेट बैंक से 5 करोड़ रूपये निकाल कर वहां नकली नोट रख देने का खेल भी डुमरियागंज के शातिरों ने कर दिखाया। हालांकि इस प्रकरण में दो लोग गिरफ्तार भी हुए, मगर बरामद पांच करोड़ जाली नोट कहां से आए तथा उसे स्टेट बैंक के लाकर में जिस प्रकार डाले गये वह किसी शातिर दिमाग का ही काम हो सकता था। बहरहाल उस शातिर को गिरफ्तार भी किया गया।इसी प्रकार इसी वर्ष के अंत में एटीएम से जालसाजी करने वाले पिंटू पांडेय को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा यहां चोरी की लक्जरी गाड़ियों को थोक के भाव बेचने वाला सरगना भी सक्रिय रह चुका है। इन्हीं सब बड़ी घटनाओं के चलते डुमरियागंज अपराध के संदर्भ में पूरे प्रदेश में कुचर्चित होता जा रहा है।
आखिर वह शातिर सरगना कौन है?
सोशल मीडिया और निजी चर्चाओं में डुमरियांज क्षेत्र का ही एक अन्य युवक भी आजकल चर्चा का केन्द्र बना हुआ है। बताते हैंकि उक्त युवक बेरोजगार युवको से भीरी रकम लेकर उन्हें फर्जी कागजात के बल पर नौकरियां दिलाने का काम करता है। खबर है वह उन्हीं फर्जी प्रमाण पत्रों के आधर पर उनकी ज्वायनिंग भी करा देता है। कई को नहीं भीदिला पाता। ऐसे लों की रकम न लौटाने पर युवक उसकी कारस्तानी बतो रहते हैं। पलिस को इस शातिर सरगना पर नकेल कसने का काम करना चाहिए। इससे बेरोगार ठगी से बच सकेंगे।