नेपालः सोनौली में ‘सुविधा पास’ मगर ककरहवा बार्डर से यह सहूलियत भारतीयों से छिनी
-नेपाल से भारत में आने के लिए वाहनों का निःशुल्क प्रवेश का आदेश
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। ककरहवा बॉर्डर के रास्ते गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी जाने वाले भारतीय पर्यटकों को अब तगड़ी जेब ढीली करनी पड़ रही है। पर्यटकों को मोटरसाइकिल या चार पहिया वाहन से लुंबिनी तक जाने के लिए अब भंसार बनवाने की जरूरत पड रही है, जबकि महराजगंज के सोनौली बॉर्डर पर निर्धारित समय तक सुविधा पर्ची के माध्यम से वाहनों को बिना भंसार के नेपाल सीमा में प्रवेश करने की अनुमति मिल रही है।
लुंबिनी स्थित कालीदह नेपाल भंसार पर सुविधा पर्ची नहीं बनने की वजह से ककरहवा बार्डर से लुंबिनी जाने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी भी आ रही है। इससे सीमावर्ती क्षे में दोनों ओर के व्यापार भी प्रभावित हो रहे हैं। इसे लेकर दोनों तरफ केनागरिकों में भी भारी क्षोभ है। बावजूद इसके अभी तक नेपाल सरकार द्धारा पुनः यहां से सुविधा पर्ची बनाने पर विचार नहीं किया जा रहा है।
भारत-नेपाल के बीच एक समझौते के तहत ककरहवा बॉर्डर के रास्ते लुंबिनी तक जाने के लिए भारतीयों को मोटरसाइकिल या चार पहिया वाहन का भंसार बनवाने की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन कोरोना संक्रमण काल समाप्त होने के बाद सीमा खुली तो बीते फरवरी से नेपाल ने ककरहवा बॉर्डर पर सभी वाहनों के लिए भंसार अनिवार्य कर दिया, जबकि नेपाल से भारत आने वालों को नौगढ़ तक जाने के लिए कोई शुल्क देने की जरूरत नही थी। भारत तो अभी भी अपने पूर्व समझौते का पालन कर रहा है, लेकिन नेपाल सरकार समझौते से हटकर ककरहवा बॉर्डर पर भंसार बनवाने का नियम लागू कर दिया है। अब इस रास्ते लुंबिनी तक जाने के लिए भी भारतीय पर्यटकों को मोटरसाइकिल के लिए 150 नेपाली रुपये व चार पहिया वाहन के लिए 500 नेपाली रुपये देकर भंसार जमा करना पड़ रहा है।
नेपाल सरकार के इस अड़ियल रवैये के कारण भारत के सीमा क्षेत्र के लोगों में काफी रोष है। प्रधानमंत्री के आगमन से बढ़े पर्यटको की संख्या में फिर आने लगी कमी आ रही है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा लुंबिनी गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन से लुंबिनी की पहचान वैश्विक स्तर पर बढ़ गयी है, जिसके बाद यहां पर्यटकों की संख्या में बढोत्तरी हुई थी। कस्टम अधीक्षक अंगद ने बताया कि नेपाल से भारत में प्रवेश करने वाले वाहनों का सीमा शुल्क नहीं लिया जाता है। फरवरी 2022 से नेपाल सीमा में लुंबिनी के लिए सुविधा पर्ची बंद हो गई है।
बेटी रोटी के रिश्ते में बढ़ रही दूरी
पहले जहां ककरहवा के रास्ते प्रतिदिन औसतन दौ सौ से ढाई सौ चार पहिया वाहन ककरहवा के रास्ते नेपाल जाते थे। अब यह संख्या फिर घट कर 40-50 तक पहुंच गई है। ककरहवा के रमेश जायसवाल, संजय अग्रहरि, जवाहर लाल वर्मा, पिंटू तिवारी, प्रेम कौशल ने बताया कि ककरहवा बॉर्डर पर लुंबिनी के लिए भी भंसार शुरू होने से दिक्कत आ रही है। सीमावर्ती इलाके में भारत व नेपाल के लोगों के बीच रिश्तेदारी है। अब उनकों बरकरार रखने में बाधा पड़ रही है।