राजा परीक्षित व हिरण्याक्ष की कथा सुनकर श्रोता हुए भावविभोर
सरताज आलम
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। विकास क्षेत्र शोहरतगढ़ के लुचुइया गांव में स्थित प्राचीन शिव मन्दिर के प्रांगण मे चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी भागवत कथा के तीसरे दिन श्रोतागण राजा परीक्षित और हिरण्याक्ष की कथा सुनकर भाव विभोर हो गये। कथा व्यास संतोष शुक्ल ने श्रीमदभागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा की राजा का सबसे बड़ा धर्म राष्ट्रधर्म है।
राजा परीक्षित अर्जुन के पौत्र, अभिमन्यु के पुत्र और राजा जनमेजय के पिता थे। आप के कारण राजा परीक्षित को तक्षक सर्प ने डंस लिया, सुखदेव ने भागवत कथा सुनाये और राजा परीक्षित के जीवन और मृत्यु की भी कथा सुनाये और कैसे राजा के राज्य में कलियुग का प्रवेश हुआ। फिर कथा वाचक ने कहा कि हिरण्याक्ष नामक असुर पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था, जिससे भगवान विष्णु ने बारह अवतार लेकर समुद्र दिया था, जिससे भगवान विष्णु ने बारह अवतार लेकर समुद्र मे छिपाये गये पृथ्वी को बाहर निकाले और असुर हिरण्याक्ष का वध किये। भगवान विष्णु के बारह अवतार की कथा सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो गये।
कथा आयोजक प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष पवन मिश्रा ने कथा मे आये अतिथियो के साथ डा. सतीश द्विवेदी को मंच पर अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। डा. सतीश द्विवेदी ने कहा की श्रीमदभागवत कथा से लोगो के अन्दर से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और अच्छे समाज का निर्माण होता है।
इस दौरान धर्म जागरण मंच के जिला संयोजक गणेशकान्त उपाध्याय, संजय मिश्र, उपेन्द्र नाथ उपाध्याय, अरुण कुमार उपाध्याय, विजय मिश्र, संजय पाण्डेय, बहरैची वाया. विवेक उपाध्याय, संतराम, जय प्रताप जोगिया ब्लाक के प्रधान सहित गांव क्षेत्र से आये सैकड़ो की संख्या मे महिला, पुरुष और बच्चे मौजूद रहे।