अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण करता है- आचार्य संतोष शुक्ल

October 20, 2023 9:32 PM0 commentsViews: 240
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अजीत सिंह 

सिद्धार्थनगर। व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं।

उक्त बातें बांसी क्षेत्र के ग्राम तारगुजरौलिया में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के चतुर्थ दिवस पर कथाव्यास संतोष शुक्ल महाराज ने कहीं। उन्होंने चतुर्थ दिवस पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।

कथा व्यास पंडित संतोष शुक्ल ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उन्हें अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।

श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान उत्सव में वृंदावन धाम से पधारे कथाव्यास संतोष शुक्ल महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि कंस की कारागार में वासुदेव-देवकी को भादो मास की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनका लालन-पालन नंदबाबा के घर में हुआ था। इसलिए नंदगांव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया और अपने माता-पिता को कारागार से छुड़वाया।

मुख्य यजमान श्रीमती मंजू चतुर्वेदी एवं डॉ लाल बहादुर चतुर्वेदी, संयोगिता चतुर्वेदी एवं अभिषेक चतुर्वेदी सहित श्रीमती सन्तोषी एवं दिलीप चतुर्वेदी, श्रीमती नीलम दूबे एवं डॉ संतोष कुमार दूबे, अजीत कुमार त्रिपाठी, सुप्रिया, महेन्द्र उपाध्याय, बृजेश, चन्द्रशेखर, शिवा, शिवांग सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही।

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