मध्यावधि चुनाव तय मान कर अभी से संसदीय क्षेत्र के सघन दौरे में जुटे कुशल तिवारी  

June 14, 2024 1:39 PM0 commentsViews: 1838
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अब यही बनायेंगे घर, निकट भविष्य में चुनाव की बढ़ रही आशंका 2025 तक मध्यावधि चुनाव पक्का मान रहे राजनीतिक विश्लेषक

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जगदम्बिका पाल से शिकस्त खाने के बाद सपा प्रत्याशी कुशल तिवारी एक दिन के लिए भी चैन से नहीं बैठे हैं। वह लगातार अपने संसदीय सीट के मतदाताओं से मिल कर उन्हें अपने समर्थन के लिए आभार ज्ञापित कर रहे हैं। जरूरत के मुताबिक वह प्रमुख गांव कस्बों में बैठक कर लोगों से आगे का विमर्श भी करते हैं। वे ग्रामीणों से कहते हैं कि वह चुनावी युद्ध में भले हार गये हों मगर युद्ध से नहीं हारे हैं। मतलब साफ है, कि वह अगले चुनाव की तैयारी में अभी से डट गये हैं। दूसरी तरफ राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि सन 2025 में देश में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। शायद यही सोच कर सपा के प्रत्याशी रहे कुशल तिवारी अपनी रणनीति नये सिरे से तैयार रहे हैं।

डुमरियागंज की पांचों विधानसभा क्षेत्रों के हर गांव तक पहुंचने की कवायद के साथ सपा नेता कुशल तिवारी अब तक 100 से अधिक गांवों में जनसम्पर्क कर चुके हैं। इस भीषण गर्मी में भी उनका हौसला टूटा नहीं हैं। गत दिनों उस्का बाजार क्षेत्र व डुमरियागंज क्षेत्र के ग्राम कटारिया चौराहा, कटारिया पांडेय आदि गावों का दौरा करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह गोरखपुर लौटने वाले नहीं हैं। अब सिद्धार्थनगर ही उनकी कर्मभूमि है। वे यहां के लोगों की समस्या के लिए लड़ेंगे,अब यहीं जियेगें यहीं रहेंगे। यहां कि जनता ने बीते चुनाव में जितना सम्मान और समर्थन दिया है उसे देख अब वापस लौटने का कोई नैतिक आधार नहीं बनता है।

तो बड़ी खबर यह है कि कुशल तिवारी सिद्धार्थनगर में जमीन लेकर मकान बनवाने जा रहे हैं। इसका मतलब यह है कि उन्हांने इसे अपनी कर्मभूमि बनाने का निर्णय सोच समझ कर ले लिया है। लें भी क्यों ने जब पूरे देश के अधिकांश राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि गठजोड़ों के सहारे बनी मौजूदा एनडीए सरकार एक साल से ज्यादा चल नहीं पायेगी और मध्यावधि चुनाव 2025 में हो जायेंगे। सरकार गठन के बाद भाजपा के सहयोगी दलों की नाराजी भी इसी तरह का संकेत दे रही है। अभय दुबे, विनोद शर्मा जैसे राष्ट्रीय स्तर के विश्लेषक तो यह भी कहते हैं कि प्रघानमंत्री मोदी जैसे कड़क मिजाज नेता से सहयोगी दलों के नेताओं का अधिक समय तक निभ पाना मुश्किल है। यही करण है कि निकट भविष्य में चुनावों की आशंका को देख कर कुशल तिवारी भविष्य की रणनीति बना रहे हैं।

बता दें कि गत चुनावों में सपा के कुशल तिवारी ने भाजपा के जगदम्बिका पाल को कड़ी टक्कर दी थी, जिसमें वे पाल से लगभग 42 हजार मतों से ही हारे थे। नामांकन से लगभग एक सप्ताह पूर्व एक अनजाने क्षेत्र में आकर लगातार तीन बार के सांसद रहे नेता को इतनी कड़ी टक्कर देने का अर्थ साफ है कि निकट भविष्य में सफलता का सोपान तय करना उनके लिए बहुत कठिन नहीं है।

 

 

 

 

 

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