दर्दनाक मौतः अशहद ने राम किशन की मदद की और किशन दम तोड़ते अशहद को छोड आया
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। अशहद अली कर्म से सच्चा इंसान था। उसने अपने परिचित रामकिशुन यादव परिचित को बाढ़ के खतरे से बचाने का प्रयास किया। कोशिश रंग भी लाई किया। राम किशुन तो सकुशल घर पहुंच गया मगर इस कोशिश में अशहद की जान चली गई। शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के रोमिनदेई गांव की इस घटना की क्षेत्र में काफी चर्चा है। इस घटना में दम तोड़ रहे अशहद को छोड़ कर राम किशुन के भागने की व्यापक चर्चा हो रही है।
शोहरतगढ़ क्षेत्र के महमुदवा ग्रांट निवासी 23 वर्षीय अशहद अली पुत्र तबारक अली बुधवार अरान्ह् अपने परिचित 41 वर्षीय राम किशुन को छोड़ने उके गांव नौडिहवा जा रहे थे। बीच में सड़क पर बाढ़ का पानी चढ़ा हुआ था। जिससे किशुन का गांव जा पाना कठिन था। राम किशुन ने अपनी परेशानी महमूदवा ग्रांट के अशहद अली को बताई और अपी बोलेरो जीप से उसे गांव छोड़ने को कहा। इसानी फर्ज समझ कर उसने राम किशुन को बोलेरों में बैठाया और नौडिहवा चल पड़ा। गांव वहां से कुछ ही दूर था। चाारों तरफ बानगंगा नदी के बाढ़ का पानी खतरनाक सांप की तरह फुकारें मार रहा था।
बताते हैं कि बोलेरो जैसे ही रोमनदेई गांव के पास पहुंची, अचानक मोड़ पर वाहन अनियंत्रित होकर सड़क किनारे बाढ़ के पानी में घुस गया। जिससे पूरी गाड़ी डूब गई। बहुत देर बाद कुछ लोगो ने देखकर शोर मचाया तो वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई। सूचना पर एसडीएम चंद्रभान सिंह व शोहरतगढ़ थानाध्यक्ष अनुज कुमार सिंह मय फोर्स मौके पर पहुंचकर गाड़ी को निकलवाया। गाड़ी से अशहद अली को निकाला गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। कुछ लोगो ने पुलिस को जानकारी दी की गाड़ी में एक और व्यक्ति बैठा हुआ था।
पुलिस मृतक शहद अली के शव का पंचनामा करने के बाद दूसरे व्यक्ति की खोजबीन में जुट गई। शाम तक पता चला कि मृतक के साथ कठेला समय माता क्षेत्र के नौडिहवा निवासी राम किशुन (41) पुत्र राज मन यादव था। जिसने बताया कि बुधवार को मृतक शहद अली उसे गांव छोड़ने के लिए लेकर जा रहा था। उसके बाद हादसा हो गया। उसने मृतक को निकालने का प्रयास किया, लेकिन सीट बेल्ट के कारण उसे निकाल नहीं सका और वह डर तथा निराशा में चुपचाप अपने घर भाग आया। थानाध्यक्ष अनुज कुमार सिंह ने बताया कि गाड़ी अनियंत्रित होकर गहरे पानी में चली गई। जब गाड़ी निकली गई, गाड़ी में एक युवक की डूबने से मौत गई थी। दूसरा व्यक्ति गाड़ी का शीशा खोलकर सुरक्षित निकल गया था। मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। आगे की कार्रवाई में पुलिस टीम जुटी हुई है।
इस लाहर्षक घटना का घटना का प्रारम्भिक पक्ष जहां आदमी को उसके फर्ज के प्रति जिम्मेदार बनाता है वहीं राम किशुन का पलायन कर जाना स्वार्थी की परिभाषा तय करता है। कम से कम किशुन को तो शोर कर अशहद को बचाने का प्रयास तो करना ही चाहिए था। लोग कहते हैं कि शोर सुन कर शायद अशहद को गांव वालों की मदद मिल जाती और उसकी जान बच जाती।