सैलाब ने जबड़े खोले, 150 गांव खतरे की जद में, बस अड्डा व पावर हाउस तक पानी में डूबे
शाहपुर-सिंगारजोत मार्ग पर 2 से 4 फुट बह रहा पानी, पेड़ारी, नेबुआ असनार, मछिया, पेड़ारी, खुरपहवा आदि दर्जनों गांवों में कोहराम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बूढ़ी राप्ती नदी के डैंजर लेबिल से दो मी. ऊपर चले जाने के बाद अब राप्ती नदी के भी खतरे का निशान पार कर जाने के कारण जिले में सैलाबी दहशत बढ़ गई है। कूड़ा, बानगांगा नदियां भी लाल निशान पार करने के करीब हैं। इससे जनपद में सैलाबी संकट बढ़ गया है। लगभग 150 गांव बढ़ से प्रभावित हैं। इनमें तकरीबन 80 गांव पानी से घिर गये हैं। सैकड़ों घरों में पानी घुस गया है। डुमरियागंज बस स्टेशन तथा सिरसिया पावर हाउस भी सैलाब में डूबा है। अनेक परिवारों ने पुल पुलिया अथवा तटबंधों पर शरण ले रखी है। 20 हजार हैक्टेयर फसली पानी में डूब गई हैं। बाढ़ से तकरीबन 1.5 लाख नागरिक प्रभावित हुये हैं। अब प्रभावित क्षेत्र में नाव की शिद्दत से मांग की जा रही है।
तीन नदिया डैंजर लेबिल के पार
जनपद की तीन नदियों के खतरा बिंदु से ऊपर जाते ही ग्रामीणों के समक्ष भारी कठिनाई खड़ी हो गई है। इ्रेनेज विभाग की प्रेस नोट के अनुसार जनपद की सबसे बडी नदी राप्ती ने शुक्रवार को खतरे का निशान पार कर लिया है। वह सुबह आठ बजे डैंजर लेबिल 10 सेमी ऊपर बह रही थी। ककरही पुल गेज पर वह खतरा बिंदु 84.900 मीटर के सापेक्ष 85.00 मी. पार कर गई थी। जबकि एक पहाड़ी नदी तेलार सड्डा गेज स्टेशन के मुताबिक 87. 500 मी के सापेक्ष 87.60 मी पर पहुंच चुकी थी। बूढ़ी राप्ती नदी तो बुद्धवार को ही खतरा बिंदु पार कर गई थी। वर्तमान में वह डैंजर लेबिल से से दो मीटर ऊपर बह रही है। इसके अलावा कूड़ा नदी खतरा बिंदु के करीब है। बानगंगा भी डैंजर लेबिल की ओर बेताबी से बढ़ रही है। इसके अलावा घोघी नदी व जमूआर नाला भी जबरदस्त उफान पर हैं। इससे इन नदियों के कछारी क्षेत्र में सैलाब का जबरदस्त खतरा मंडराने लगा है।
डुमरियागंज में राप्ती ने शुरू कर दी तबाही
तीन नदियों के जलस्तर को पार करने के बाद से जिले के 150 गांव संकट में फंस गये हैं। इनमें राप्ती नदी के प्रभाव क्षेत्र में आने वाले डुमरियागंज तहसील के ग्राम नेबुआ, रमवापुर, खुरपहवा, पेड़री मुस्तहकम बुढ़िया टायर, बीरपुर कोहल, बगहवा, बडहरा सोनखर, पिकौरा, धनोहरी, मन्नीजोत, आदि कई दर्जन गांवों की बुरी हालत है। राप्ती की बाढ़ से शाहपुर सिंगारजोत मार्ग मार्ग पर कई स्थाना पर 2 से 4 फीट पानी चल रहा है। ग्राम नेबुआ निवासी दीपक ने बताया कि पक्की सड़क के समाने बने उनके मकान में लगा हैंडपाइप डूब गया है। पूरे गांव में पानी घुसा है। उनका परिवार अन्यत्र शरण लिये हुए है। इसी प्रकार ग्राम खुरपहवा निवासी लड्डू ने बताया कि पानी सड़क पार कर गांव के घरों में घुसने लगा है। कई परिवारों ने घर खाली कर दिया है। सड़कें पानी में डूबी हुई हैं। सिर्फ एक नाव है। वह भी गांव से बाहर दिन भर में मात्र दो चक्कर लगा पाती है। पास के सिरसिया पावर हाऊस में पानी घुस गया है। राप्ती की बाढ़ से तहसील मुख्यालय डुमरियागंज का रोडबेज स्टेशन में पानी आ गया है तथा नगर पंचायत के बाहरी क्षेत्रों में पानी पहुंचने लगा है। इससे पूरे कस्बे में भय का माहौल है। इसके अलावा पेड़ारी मुस्तहकम, व मछिया की भी हालत गंभीर है।
बताते हैं कि नौगढ़ तहसील के ताल नटवा, ताल बगहियां, ताल भिरौना, मारूखर, आदि एक दर्जन गांव पानी से घिर गये हैं जबकि बूढ़ी राप्ती की बाढ़ से शोहरतगढ़ तहसील के मझवन, भुतहिया, खैरी शीतल, झुंगहवा, अमहवा, नदविलया बभनी, आदि गांव संकट में घिरे हैं।
जानकार बताते हैं कि यदि नदियों का जलस्तर थोड़ा और बढ़ा तो ऐसे लगभग सौ नये गांवों पर पर संकट बढ़ सकता है। फिलहाल प्रशासन नदियों कि स्थति पर गहरी नजर रखे हुए है। जिलाधिकारी डा. राजा गणपति आर ने जिले के सभी उपजिलाधिकारियों को बाढ़ पीड़ितों की सुरक्षा और उन्हें उनके लिए हर संभव मदद का निर्देंश दिया है। जिलाधिकारी स्वयं स्वयं भी बाढ़गस्त क्षेत्रों को दौरा कर हालाता का जायजा ले रहे है।
राहत बचााव की मांग
तीन तीन नदियों के डैंजर लेबिल पार कर जाने के कारण जिले में राहत और बचाव की जरूरत महसूस हो रही है। इस वक्त ग्रामीणों की सर्वाधिक आवश्यकता नावों की है। वर्तमान में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य के लिये एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की मा़त्र दो टीमें तैनात है। जिन पीड़ित गांवों के पास अपनी निजी नावें हैं वे तो किसी प्रकार अपना काम चला रहे हैं। मगर अधिकाशं गांव नावों के बिना पानी के कैदी बने बैठे हैं। इसके अतिरिक्त सैलाब के प्रारम्भ्िाक चरण में मैरूंड गांवों में अब खाने की कमी पड़ने लगी है। मगर प्रशासन ने राहत वितरण अभी शुरू नहीं किया है। दीपक श्रीवास्तव ने सैलाब पीड़ित क्षेत्रों में राहत वितरण की मांग की है।