एलएलबी की परीक्षा देने गये युवक की उत्तराखंड पुलिस की हिरासत में रहस्मय मौत?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थनगर के युवक की उत्तराखंड पुलिस की कस्टडी में हुई मौत सदर थाना क्षेत्र में र्चा का विषय हुई है। लोग इसे पुलिस कस्टडी में हुई हत्या का मामला बता रहे हैं जबकि पुलिस के अनुसार युवक की मौत हार्ट अटैक से हुई है। पुलिस ने भाष्कर पांडेय का 50 लाख गबन काआरोपी भी बताया है जबकि उत्तराखंड में मृतक पर ऐसा कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं है। बहरहाल आरोप प्रत्यारोप के बीच मामले की जांच की प्रतीक्षा है।
क्या है घटना
बता दें कि सिद्धार्थनगर जिले के महुलानी निवासी भास्कर पांडेय (32) शुक्रवार अयोध्या जिले में एलएलबी की परीक्षा देने गये थे। इसकी सूचना मिलने पर ऊधमपुर जिले की रूद्रपुर पुलिस ने अयोध्या पहंच कर भाष्कर पांडेय को नया घाट के पास से हिरासत में ले लिया। लेकिन इसके कुछ घंटों बाद उनकी मौत की खबर की बात प्रकाश में आयी। उनके शव का पोस्टमार्टम शनिवार को किया गया। शनिवार की देर शाम डॉक्टर के पैनल से हुए पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने यह दावा किया कि उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक था। जबकि परिवार के मुताबिक वह हृदय रोगी नहीं थे।
अयोध्या के नगर कोतवाल अश्वनी पांडेय ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर चोट के निशान नहीं मिले हैं। मौत की वजह डॉक्टर ने हार्ट अटैक बताई है। मामले की जांच अभी की जा रही है। इसके बाद कोई फाइनल कार्रवाई होगी। ज्ञात रहे कि भाष्कर पांडेय के परिवार ने उत्तराखंड पुलिस पर हत्या का आरोप लगा रहा है। उनका कहना है कि वह दिल के मरीज नहीं थे। ऐसे में उनकी हार्ट अटैक से मौत क्यों कर संभव है?
क्या है 50 लाख के गबन का मामला
बताते चलें कि भास्कर पांडेय के ऊपर उत्तराखंड में एक कंपनी मके तरफ से 50 लाख रुपए के गबन का मुकदमा दर्ज है। जबकि परिवार इससे इंकार कर रहा है। वह उस कम्पनी में काम करते थे। गबन का मुकदमा दर्ज होने के बाद वह घर रह कर एलएलबी की प़ढ़ाई कर रहे थे कि यह घटना घट गई। मृतक के परिजनों ने पुलिस कस्टडी में युवक की हत्या का आरोप लगाया है। पुलिस कस्टडी में हुई डेथ के बाद मामले की मजिस्टीरियल जांच का नियम है। अब उसके निष्कर्ष के बाद ही इस मौत की सच्चाई पता चल सकेगी। फिलहाल मृतक के परिजन हत्या के आरोप पर अडिग हैं।
यहां एक नई बात सामने आ रही है उत्तराखंड के रूद्रपुर पुलिस स्टेशन में में भाष्कर पांडेय के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। कहते हैं यह बात स्वयं रूद्रपुर पुलिस प्रभारी ने बताया है। लगता है कि किसी के प्रभावश पुलिस ऊपर ऊपर ही उस पर दबाव बना रही थी। इससे पूर्व भी एक बार पुलिस ने भाष्कर को पकड़ा था, मगर एफआईआर दर्ज न होने के कारण उसे छोड़ना पड़ा था। शायद पुलिस की इन्हीं हरकतों के कारण वह वकालत की पढ़ाई भी कर रहे थे।