बेदर्द सियासतः छेड़खानी में कन्नौज के सपा नेता जेल गये, आखिर क्यों खामोश हैं अखिलेश यादव?

August 13, 2024 12:45 PM0 commentsViews: 263
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नजीर मलिक

नवाब यादव को अरेस्ट करती कन्नौज की पुलिस और इंसेट में उनका चित्र

सिद्धार्थनगर। सपा नेता और कन्नौज के पूर्व ब्लाक प्रमुख को किशोरी संग छेड़खानी के आरोप में गिरफ्तार नवाब सिंह यादव गिरफ्तार कर पुलिस ने सोमवार को जेल भेज दिया। अब पुलिस उनकी आपराधिक कुडली खंगालने में लग गई है। सोमवार  देर शाम तक नवाब यादव के खिलाफ दर्ज बलवा, लूट, मारपीट, धोखाधड़ी आदि 15 मुकदमों की सूची भी जारी कर दी है। हालांकि नवाब सिंह यादव के समर्थकों का तर्क है यह सभी मुकदमें उनकी राजनीतिक गतिविधियों के कारण दर्ज हुए हैं। इधर एक जानकारी यह भी आ रही है कि नवाब यादव के सपा प्रमुख से वर्तमान रिश्ते ठीक नहीं हैं। गत चुनाव में डिम्पल यादव की हार के लिए उलन्हें ही जिम्मेदार माना गया था। यही वजह है कि उनकी गिरफ्तारी के बावजूद सपा उनके डिफेंस के लिए तैयार नहीं दिख रही और डनहें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।

कई प्रसिद्ध मीडिया बेवसाइट्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार जिले की सियासत में दबदबा रखने वाले नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी के बाद से  भाजपा  पूरी तरह से सपा पर हमलावर है। वहीं, सपा ने मामले से पल्ला झाड़ रखा है। इस बीच पुलिस अपना काम करने में जुटी है। रविवार की रात हिरासत में लेने के बाद सोमवार की दोपहर कोर्ट में पेश करने के बाद शाम में जेल भेज दिया गया। यहां बता दें कि  नवाब सिह पर आरोप है कि उन्होंने किसी बहाने एक लड़की को रात में बुला कर उसके साथ छेड़खानी की।

इस बीच पीड़ित किशोरी की मेडिकल जांच के लिए जिला अस्पताल में गहमा-गहमी रही। देर शाम होते-होते पुलिस ने नवाब सिंह यादव के खिलाफ दर्ज अब तक के सभी मुकदमों की फेहरिस्त जारी कर दी है। इसमें पहले से दर्ज 15 मुकदमों के अलावा रविवार की रात दर्ज हुआ 16वां मुकदमा भी शामिल है।  समझा जा रहा है कि इस लिस्ट को सार्वजनिक कर पुलिस नवाब सिंह यादव की छवि को सामना लाना चाह रही है।

 कौन हैं नवाब सिंह यादव
अमर उजाला की वेब साइट के अनुसार नवाब सिंह यादव को जानने वाले लोग उन्हें सपा का कद्दावर नेता और पार्टी मुखिया अखिलेश यादव का करीबी ही मानते रहे हैं। सपा शासन के दौरान सत्ता के गलियारों में नवाब सिंह यादव की काफी धमक थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान तिर्वा विधानसभा सीट से टिकट की मांग पूरी नहीं होने पर खेमेबंदी शुरू हो गई। दोनों पक्ष में खटास तब और बढ़ गई, जब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से डिंपल यादव चुनाव हार गईं। तब अंदरखाने नवाब सिंह यादव पर ही ठीकरा फोड़ा गया था।   उसके बाद से सपा ने पूरी तरह से दूरी बना रखी थी।

 गिरफ्तारी के प्रति क्यों उदासीन हैं अखिलेश यादव

हालांकि नवाब सिंह यादव द्धारा अपनी ओर से किए जाने वाले धरना-प्रर्दशन को सपा से ही जोड़ कर देखा जाता रहा है। सियासी चर्चाओं के मुताबिक वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब खुद अखिलेश यादव ने यहां से दावेदारी की तो नवाब सिंह यादव ने उनके लिए प्रचार किया था। पिछले महीने 25 जुलाई को नवाब सिंह की मां का निधन हो गया तो अखिलेश यादव ने उस पर दुख जताया था। वहीं, इस प्रकरण के बाद पार्टी ने पूरी तरह से नवाब से पल्ला झाड़ लिया है।

लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि नवाब सिंह और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के रिश्ते में आई खटास के कारण ही पार्टी नावाब यादव के बचाव में कुछ नहीं कर रही है। चचर्चा तो सहां तक है कि इस मुद्दे पर अखिलेश यादव की उदासीनता को महसूस कर कन्नौज के भी सपा नेताओं ने नवाब यादव को बचााने के बजाए उनसे किनारा कर लिया है।

केस की थियरी पर सवालिया निशान

कुछ भी हो इस प्रकरण में लड़की के एक कथित बुआ जी की भूमिका भी संदिग्ध है। पन्द्रह साल की एक कियोरी द्धारा नौकरी के लिए किसी के घर देर रात जाना स्वाभाविक तो नहीं लगता, वहां बुआ जी की क्या भमिका है यह भी जांच का विषय है। इस सनसनीखेज प्रकरण में ऐसे सवाल हैं जो इस पूरे कांड की थ्योरी पर सवालिया निशान लगा रहा है। लोग भी इसे लेकर सवाल कर रहे हैं। अब पूरा सच तो जांच के बाद ही सामने आ पायेगा।

 

 

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