पत्रकार भाइयों की कम्पनी में घपले ही घपले, स्टाम्प चोरी के साथ आपराधिक घोखाघड़ी भी?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जमीन के धंघे में लगे पत्रकार भाइयों का मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। प्रशासन ने जहां स्टाम्प चोरी के आरोप में एक भाई शमीम अहमद को 29 लाख जुर्माने की नोटिस दी है, मगर कई अन्य दस्तावेजों को खंगालने के बाद उन पर कालाधन को सफेद करने व धोखाधड़ी के भी आरोप लगे हैं। आरोप लगाने वाले मुमताज अहमद दस्तावेजी सबूतों के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग भी कर रहे हैं।
मुमताज अहमद द्धारा प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार पत्रकार भाइयों की एक क्म्पनी आई.ए. रोज ग्रीन सिटी प्रा.लि. है। जिसके माध्यम से उन्होंने कथित रूप से आपराधिक घोखाधड़ी की। अभिलेखों के अनुसार पत्रकार ओमेर सिद्धीकी के भाई शमीम अहमद ने दो भूखंडों के खरीदने के लिए उसका रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया । जिसकी रजिस्ट्री संख्या 4880 वर्ष 2023 के अनुसार शमीम अहमद ने 20 लाख रूपये का भुगतान एक्सिस बैंक की शाखा सिद्धार्थनगर का चेक, संख्या 028551 व 028552 दिनांक 26 जुलाई 2023 को किया। मगर बकौल मुमताज अहमद, जांच के बाद यह मामला पकड़ में आया कि उक्त दोनों चेक न तो बैंक में डाले गये न कभी कैश कराये गये। जाहिर है कि रजिस्टी के अभिलेखों में चेक तो दिखाया गया मगर उसे विक्रेता को न दे कर उसके बदले सारा रुपया कैश में अदा किया, कालाधन कहा जाता है। यह कानूनन धोखाधडी का मामला है और अपराध की श्रेणी में आता है।
इन भाइयों कायह केवल एक मामला नहीं है। वरन एक अन्य अनुबंध की रजिस्ट्री संख्या 4522 में शमीम अहमद ने विक्रेता को 10 लाख का चेक दिया मगर वह चेक भी बैंक कलेक्शन के लिए जमा नहीं किया गया। इसी प्रकार शमीम अहमद के भाई पत्रकार ओमेर अहमद सिद्धीकी द्धारा रजिस्ट्री संख्या 7949 में क्रता को 7 लाख का भुगतान चेक नम्बर 000652 (दिनांक 8 दिसम्बर 23) जारी किया गया। इस प्रकार तीनों मामलों में कुल 37 लाख का भुगतान चेक द्धारा किया गया। मगर वास्तव में उन चेकों को कभी बैंक में डालाही नहीं गया और ऊपर ऊपर चेको के बादले नकद भुगतान कर दिया गया। दरअसल कालेधन को वैध बनाने के लिए ऐसे तरीके अपनाये जाते रहे हैं जो कानूनन अपराध है।
क्या कहते हैं मुमताज अहमद
इस बारे में पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता मुमताज अहमद कहते हैं कि दस्तावेजों में चेकों को इंदराज करने के बाद भी उसे बैंक में न डाल कर बदले मे कैश के रूप में कालाधन देना धोखाघड़ी तो है ही, सवाल यह भी है कि उनके पास यह कालाधन आया कहां से? सरकार को इसकी भी जांच करनी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि तीन मामले तो उनके सामने हैं। जमीनों के धंधे में उन लोगों ने अब तक कुल कितना काला सफेद किया है, यह गहन जांच का विषय है। बहरहाल इन तीनों प्रकरण की जांच कर आख्या डीएम को दी जा चुकी है। अब कानूनी कब होगी, या देखना शेष है।