अस्त्र-शस्त्र का व्यापक स्तर पर सामूहिक पूजन करने की परंपरा हमारे समाज में सदियों से चली आ रही है- राजीव नयन

October 11, 2024 11:04 PM0 commentsViews: 58
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अजीत सिंह 

सिद्धार्थनगर। मां भगवती की आराधना के नौ दिनों में नित्य शास्त्रों के पठन के साथ ही उनके हाथों में विराजमान विविध शस्त्रों का पूजन हर सनातनी हिन्दू विधि विधान से करते हैं। अस्त्र-शस्त्र का व्यापक स्तर पर सामूहिक पूजन करने की परंपरा हमारे समाज में सदियों से चली आ रही है।

उक्त बातें आरएसएस के विभाग प्रचारक राजीव नयन ने कही। वह शुक्रवार को नगर पालिका के अवैद्यनाथ सभागार में विजय दशमी की पूर्व संध्या पर शस्त्र पूजन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने  कहा कि अन्यायी शक्तियाँ काफी संगठित है, इसलिए हमें सज्जन शक्ति को एकत्र करना है। देश और समाज के रक्षा की जिम्मेदारी प्रत्येक व्यक्ति पर है, ऐसे में शस्त्र व शास्त्र दोनों में पारंगत होना पड़ेगा।

संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने वर्ष 1925 में विजय दशमी वाले दिन ही शक्ति सम्पन्न राष्ट्र की संकल्पना को साकार करने के लिए और देश को स्वतंत्र कराने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। स्वाधीनता के बाद यह संकल्प देश की बुराईयों को समाप्त करने का हो गया है, संघ अपने सौ वर्ष में प्रवेश कर गया है।

सभी संकल्प लें कि वह राष्ट्र सेवा में पीछे नही हटेंगे और आरएसएस की विचारधारा को आगे बढ़ाते रहेंगे। भारत को यदि पुनः विश्व शक्ति बनाना है तो हिंदुत्व को बचाए रखना होगा। इस दौरान अखिलेश श्रीवास्तव, सौरभ, मोहित, मुरलीधर अग्रहरि, मनोज कुमार, अविनाश, सत्यम, ओंकार पांडेय, अनूप पाठक, धनंजय रस्तोगी, हरिशंकर सिंह, अखंड सिंह, सुरेश रैना, नंद लाल, फतेबहादुर सिंह, अमन आदि मौजूद रहे।

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