13 साल की बच्ची से दो साल तक रेप, सिद्धार्थनगर पुलिस बलात्कारी को बचाने में जुटी
नजीर मलिक
“दो साल तक रेप का शिकार होने के बाद 13 साल की नाबालिग पीड़िता वापस अपने घर पहुंच गई है। मगर त्रिलोकपुर थाने की पुलिस बलात्कारियों की गिरफ्तारी की बजाय इस सनसनीखेज रेपकांड को फर्जी करार देने की जुगत में लगी हुई है। दो साल पहले नाबालिग पड़ोसी ज़िले बलरामपुर में बेची गई थी, तभी भी सिद्धार्थनगर पुलिस उसे रेस्क्यू करने की बजाय आराम फरमा रही थी। पीड़िता अल्पसंख्यक समुदाय की है।”
नाबालिग इटवा तहसील की रहने वाली है। दो साल पहले गांव के कुछ मुकामी लोगों ने उसे बलराम के गांव धनुहिया में एक शख्स के हाथों बेच दिया था। नाबालिग का आरोप है कि उस शख्स ने दो साल तक उसे अपने घर में जबरन बंधक बनाकर रखा और इस दौरान रेप करता रहा। यहां तक कि मैं गर्भवती होकर 3 महीने पहले एक बेटे की मां भी बन गयी।
मगर मां बनने के बाद जब बलात्कारी की निगरानी ढीली हुई तो वह मौका पाकर भाग निकली। फिर 5 अगस्त को अपने पिता के साथ त्रिलोकपुर थानाध्यक्ष ओम प्रकाश चौबे के पास जाकर कार्रवाई की तहरीर दी। हरकत में आई सिद्धार्थनगर पुलिस मुलज़िम गोविन्द को बलरामपुर से उठा कर ले आयी। साथ ही, नाबालिग को बेचने वाले शख़्स को विस्कोहर से हिरासत में लिया। मगर इन दोनों मुलज़िमों पर कार्रवाई की बजाय त्रिलोकपुर पुलिस ने 8 अगस्त को इन्हें रिहा कर दिया। थानाध्यक्ष चौबे और अपर पुलिस अधीक्षक का दावा है कि यह एक फर्जी केस है।
वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य जुबैदा चौधरी ने मामले को बेहद गंभीर बताया है, उन्होंने कपिलवस्तु पोस्ट से कहा है कि वह एसपी अजय कुमार साहनी से कार्रवाई के लिए कहेंगी। अगर नाबालिग के साथ इंसाफ नहीं हुआ तो मामले को यूपी पुलिस के आला अफ़सरों तक ले जाएंगी।
बहरहाल, इस मामले में एसपी सिद्धार्थनगर अजय साहनी को सामने आना चाहिए। उन्हें साफ करना चाहिए कि यह रेप नहीं आपसी रजामंदी और प्रेमप्रसंग का मामला है। मगर क्या ऐसी सूरत में भी कानून नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत देता है? अगर नहीं तो आरोपियों के ख़िलाफ कार्रवाई किसके दबाव में कार्रवाई नहीं की गई?