एक्सईएन ने माना, प्राइवेट लाइनमैन उमर की दर्दनाक मौत, लापरवही के चलते हुई

December 10, 2024 12:18 PM0 commentsViews: 517
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शट डाउन के बाद भी सप्लाई देने वाले कर्मी के खिलाफ मुकदमे  का आदेश, उमर के परिजनों को आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद बढ़ी

 

नजीर मलिक

27 वर्षीय मृतक मो. उमर

सिद्धार्थनगर।  27 साल के मो. उमर को जिस प्रकार कच्ची उम्र में जान गवानी पड़ी वह बेहद दर्दनाक है। पोल पर चढ़ कर बिजली की खराबी ठीक करते समय विद्युत करंट से मारे गये प्राइवेट लाइन मैन उमर के परिजनों के आंसू अभी ठहरे नहीं हैं। लेकिन एक सकारात्मक बात हुई कि विभाग के एक्सईएन ने आखिर मान लिया कि उमर की मौत विभागीय लापरवाही के चलते हुई है। उन्होंने अचानक बिजली सप्लाई जारी करने वाले कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश भी दिया है। इससे उम्मीद जगी है कि मृतक के परिवार को कुछ आर्थिक सहायता जरूर मिल जायेगी।

गांव पहुंचा शव, मचाा कोहराम

सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद जब मो. उमर पुत्र शौकत  का शव उसके गांव असनार पहुंचा तो गांव में कोहराम मच गया। परिवार वाले इसे बिना सूचना दिये फीडर में सप्लाई जारी करने को घोर लापरवाही बता कर इसके जिम्मेदारों को सजा की मांग कर रहे थे। इसलिए वह शव को दफन करने से इंकार कर रहे थे। पूरा प्रकरण जान कर बिजली विभाग के एक्सईएन संघप्रिय गौतम ने भी माना कि जब मेकेनिक पोल पर था और बिजली का शट डाउन था तो बिना उसके काल के सप्लाई देना घोर लापरवही थी। इधर पुलिस भी शव के साथ धरना प्रदर्शन की आशंका से सक्रिय थी।

जिम्मेदार पर होगा मुकदमा

बहरहाल पुलिस और बिजली कर्मी मौके पर पहंचे और कार्रवाई का आश्वासन देकर शव को दफन कराया। इसी के साथ एक्सईएन गौतम ने शट डाउन के बाद बिना सूचना के सप्लाई देने को लापरवाही बताते हुए खैरटिया फीडर के जेई को थाना डिडई में केस दर्ज कराने का  निर्देश दिया। इस प्रकार उमर को न्याय के साथ उसके परिजनों को आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

हर साल मरते हैं कई लाइनमैन

बता दें कि उमर के मामले में शव के साथ धरना प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए झाटपट यह निर्णय लिया गया। मगर आम तौर पर ऐसा होता नहीं है। इस समय बिजली विभाग में सैकड़ों प्राईवेट लाइनमैन काम कर रहे हैं। उन्हें संविदा पर भी नियुक्ति नहीं दी जाती। इसलिए उनकी मौत पर नियत सरकारी सहायता भी नहीं मिल पाती। जबकि जिले में औसतन आधा दर्जन प्राईवेट लाइनमैन हर साल मौत की गोद में सो जाते हैं। बिजली विभाग व शासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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