बच्चों से मिलने मुम्बई से गांव चला, राह में जिंदगी ने धोखा दे दिया, सबूत कहते हैं कि हत्या की गई?

December 19, 2024 1:25 PM0 commentsViews: 707
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मरने से पहले अपनी पत्नी को फोन पर बताया था कि ट्रेन में उससे मार पीट की

जा रही है, उसकी जान को खतरा है, ह्वाटसअप पर अपनी तस्वीर भी भेजा था

 

नजीर मलिक

लाश के घर आने के बाद रो रो कर उदास बैठा अनिल का परिवार

सिद्धार्थनगर।  लोटन कोतवाली के गाम पंचायत भिटपरा के टोला बरगदवा गांव निवासी तीस साल के अनिल कुमार नामक एक युवक अपने चार बच्चों के भरण पोषण के लिए मुम्बई रहा कर मेहनत मजदूरी कर रहा था। वह 16 दिसम्बर को अपने घर लौट रहा था। उसकी पत्नी और बचों में बहुत खुशी थी। लेकिन उनकी खुशी उस वक्त बेचैनी में बदल गई जब 16 दिसम्बर को शाम चार बजे उसकी पत्नी को अनिल का फोन आया कि कुछ लोग उसे ट्रेन में मार रहे हैं। उसने एक फोटो भी भेजा, लेकिन वह कुछ और बता पाता कि उसका फोन अचानक बंद हो गया।

और अचाानक मौत का फोन आ गया

फोन बंद होते ही संध्या बेचैन हो उठी। घर पर कोई मर्द नहीं था। सभी मुम्बई में रह कर काम धंधा करते थे। अनिल का फोन लगातार बंद बताता जा रहा था और उसके परिजनों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। अचानक उसी दिन रात 11 बजे उसे मध्य प्रदेश के तामगढ़ थाना पुलिस का एक फोन आया। पुलिस ने बताया कि मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के तामगढ़ थाना क्षेत्र के रेलवे ट्रैक पर टुकड़ों टुकडों में लाश मिली है। मौत की खबर मिलने के बाद परिवार सदमे में आ गया। पत्नी बच्चे सभी रोने लगे। फिर सारे गांव में कोहराम मच गया। हादसे की जानकारी  मुम्बई में उसके भाई अमित को दी गई। अमित रात में ही मंदसौर चले गये।

टुकड़ों में बंटी लाश गठरी बना कर लाई गई

तामगढ़ (मंदसौर) पुलिस ने अनिल की मौत को ट्रेन से गिरने के कारण हुआ हादसा बताया, मृतक अनिल के भाई अमित के मुताबिक उसने लाश देख कर हत्या की आशंका व्यक्त की और रिपोर्ट लिखानी चाही लेकिन स्थानीय पुलिस ट्रेन हादसा बताकर कार्रवाई से इन्कार कर दिया। ऐसे  में मजबूर होकर अमित अपने भाई की सैकड़ों टुकड़ों में बंटी लाश को गठरी में बांध कर अपने गांव बरगदवा आ गया।  उसका कोई भी सामान नहीं मिला उसे आशका है कि भाई को ट्रेन में मारने पीटने के बाद ट्रेन से नीचे फेंक दिया गया होगाा अथवा ट्रेन से उतार कर हत्या की गई होगी? बता दें कि इन ट्रेनों के सामान्य डब्बों में पुरबियों के साथ मार पीट की ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।

अनिल की  हत्या की गई

अनिल की लाश तो आ गई मगर उसके परिजन इस घटना को हादसा मानने को तैयार नहीं हैं। परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी कुछ ऐसा ही कहते हैं। मृतक अनिल की पत्नी 16 दिसम्बर को चार बजे आये फोन के आधार पर कहती है कि ट्रेन में लोग उसके पति को मार पीट रहे थे। अनिल अपनी जान का खतरा भी बता रहे थे। अनिल की पत्नी ने ह्वाटसअप पर भेजी फोटो भी दिखाई जिसमें दो संदिग्ध व्यक्ति अनिल को घेरे हुए थे। अनिल की लाश लेने गये भाई अमित ने बताया कि अगर मेरा भाई ट्रेन से गिरता तो उसके इतने टुकड़े कैसे होते। लाश का सर और पैर क्यों नहीं मिला, हो सकता है कि उसके भाई को ट्रेन से उतार कर मारा गया हो और लाश के टुकड़े रेलवे लाइन पर फेंका गया हो? भाई अपनी पत्नी को फोन पर मार पीट और जान के खतरे की बात क्यों कहता? वैसे भी मुम्ब-यूपी की ट्रेनों में मारपीट और लूटने की घटनाएं  सामान्य बात है।

रिपोर्ट लिखाने मंदसौर जायेंगे

अमित का कहना है कि अंतिम संस्कार के बाद वह फिर मंदसौर जायेगा और भाई अनिल के कत्ल का मुकदमा लिखाने का प्रयास करेगा। बहरहाल अनिल की मौत के रहस्य से पर्दा उठ सकेगा इसमें संदेह है। लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि बेरोजगारी के चलते हर साल रोजी रोटी कमाने हजारों लोग मुम्बई जाते हैं। इनमें से बहुत लोग तमाम हादसों में मरने को मजबूर भी होते हैं। अभी तीन दिन पूर्व ही दो नौजवानों की लाश वहां से आई है। एक सप्ताह पूर्व भी एक युवक के मौत की खबर मिली थी। बेरोजगारी से जंग लड़ रहे ऐसे युवकों की निरंतर हो रही मौतों को लेकर अब नये सिरे से सरकार को पलायन रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ऐसा लोगों का मानना है।

 

 

 

 

 

 

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