दलालों ने ली जच्चा बच्चा की जानः मरीज माफियाओं की गिरफ्त में मेडिकल कालेज?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कालेज वर्तमान में मरीज मफियोओं और उनके द्धारा चलाई जा रही निजी एम्बुलेंसों की गिरफ्त है। इसलिए आप वहां किसी एम्बुलेंस को लेने से पहले उसे ठो बजा कर परख लें। वरना वह गुमराह कर अपसे से हजारों की लूट तो कर लेंगे, आपके मरीज की जान जाने की वजह भी बन जायेंगे। गोल्हौरा थाने की एक जच्चा बच्चा को मरीज माफियाओं ने फंसा कर गोरखपुर में भारी कमीशन वाले निजी स्पीटल में पहुंचा दिया पहुंचाया जहां रविवार को उनकी मौत हो गई। ऐसे हर मामलों में कालेज प्रशासन यही कहता है कि मामले में जांच की जा रही है अथवा कार्रवाई की जा रही है। मगर सजा को ई पाता हो ऐसा लगता नहीं है।
निजी एंम्बुलेंस वाले की करतूत
जच्चा बच्चा की मौत के दुखद प्रकरण के पीछे स्थानीय मेडिकल कालेज में घूमने वाले मरीज मफियाओं का हाथ बताते हुए मृतका के पति मायाराम दुबे ने आरोप लगाया है कि मेडिकल कॉलेज से मरीज मफिया के निजी एंबुलेंस चालक ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं बेहतर न होने की बात करते हुए उन्हें गोरखपुर के गांधी गली में निजी अस्पताल में पहुंचा दिया था। उन्होंने बताया कि प्रसव पीड़ा होने पर उन्होंने अपनी पत्नी को बांसी पीएचसी से रेफर हो कर स्थानीय मेडिकल कॉलेज पहुंचा। वहां भी डॉक्टर ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। निजी एंबुलेंस चालक ने उन्हें गुमराह कर दिया। इलाज में लापरवाही से जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। उन्होंने निजी अस्पताल के संचालक के साथ एंबुलेंस चालक के खिलाफ पुलिस को भी तहरीर दी है।
परिसर में घूमती हैं निजी एम्बुलेंस, मरीज माफिया भी
दरअसल यहां माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के सामने मरीज माफिया सक्रिय हैं। परिसर में निजी एंबुलेंस खड़ी करके मरीजों का खुलेआम सौदा किया जा रहा है। इमरजेंसी से रेफर किए जाने के साथ ही सौदेबाजी शुरू हो जाती है मरीजों के परिजन को गुमराह उन्हें सेटिंग वाले निजी अस्पताल में पहुंचा दिया जा रहा है। उसके बाद निजी अस्पताल और एंबुलेंस चालक के कमीशन का हिसाब हो जाता है और अक्सर मरीज की मौत जाती है या उसकी जान खतरे में पड़ जाती है।
मेडिकल कॉलेज परिसर के अंदर रविवार को एक निजी एंबुलेंस पुलिस लाइन की बाउंड्री के पास और दूसरी पार्क पास खड़ी थी। उनके चालक भी अंदर बैठे थे और गंभीर मरीजों को रेफर होते ही उन्हें घेरकर बातें कर रहे थे। जबकि, मेडिकल कॉलेज परिसर में निजी एंबुलेंस खड़ी नहीं होनी चाहिए। सूत्रों का कहना है कि सेटिंग के चलते निजी एंबुलेंस वालों को कोई रोकने वाला नहीं है। दिन में भी एंबुलेंस वाले इमरजेंसी के सामने डेरा जमाए रहते हैं।
प्रशासन फिर लिखेगा एसपी को पत्र
मेडिकल काॅलेज प्रशासन परिसर से निजी एंबुलेंस हटाने के लिए एसपी को फिर पत्र भेजने की तैयारी में है। हर बार मेडिकल कॉलेज के अधिकारी एसपी को पत्र लिखकर पल्ला झाड़ लेते हैं, जबकि अधिकारियों की समिति मेडिकल कॉलेज के एंबुलेंस चालकों व दलालों को चिह्नित करके पुलिस को रिपोर्ट भी नहीं देती है। एक पुलिस कर्मी ने बताया कि मेडिकल कॉलेज ने दलालों को पकड़ने का काम पुलिस को सौंप दिया है। दलालों को पकड़ने के लिए मेडिकल कॉलेज के अधिकारी कोई पहल नहीं करते हैं।
इस बारे में मेडिकल काले के प्राचार्य डा. राजेश मोहन ने बताया कि मेडिकल कॉलेज परिसर में निजी एंबुलेंस खड़ी होने के मामले में पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा जाएगा। इसकी निगरानी की जा रही है। मरीजों को गुमराह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।