हादसा: चार साल की मासूम आरवी को नहीं पता कि पापा को जगाने पर घर वाले रोने क्यों लगे

February 10, 2025 12:30 PM0 commentsViews: 955
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ओह सौरभ: इकलौते बेटे की मौत मां-बाप व पत्नी पर टूटा दुखों

का पहाड़, घर में कमाने वाले वाले मात्र एक सदस्य थे सौरभ गुप्ता

 

नज़ीर मलिक

मृतक सौरभ गुप्ता

सिद्धार्थनगर। कहते हैं कि जब फूकन बाद होता है तो इंसान उसे सहन करने की लिये रोता, छटपटाता है, लेकिन वही दुख जब बहुत बड़ा हो जाता है तो आदमी के रोने की ताकत भी खत्म हो जाती है। आंखों में आंसुओं का समंदर दुख जाता है और वह पथरा जाती हैं।

60 वर्षीय ओमप्रकाश गुप्ता के परिवार की भी यही हालत है। उपनगर डुमरियागंज के इंदिरानगर वार्ड के निवासी ओमप्रकाश के परिवार में उनकी धर्मपत्नी सावित्री देवी, 28 साल की बहू और 4 साल की पोती आरवी हैं। सामने ओमप्रकाश गुप्ता के एकमात्र बेटे 30 वर्षीय सौरभ गुप्ता की लाश रखी हुई है। सबकी आंखें पथराई हुई हैं। आंखों का समंदर सूख गया है। 4 साल की आरवी कुछ ने समझ कर इधर उधर उछल कूद कर रही है। उस मासूम को क्या मालूम कि उसे बहुत प्यार करने वाले उसके पापा अब इस दुनियां मे नहीं हैं।

तीस साल के सौरभ गुप्ता डुमरियागंज कस्बे में रेडीमेड कपड़े की दुकन चलते थे। वह बहुत सरल स्वभाव के थे। दुकान की कमाई से उनका पांच जनों का परिवार बहुत खुशहाल था। अचानक शनिवार सुबह उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई। उन्हें तत्काल बस्ती ले जाया गया। शाम को डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया, मगर जब उनकी एम्बुलें अयोध्या पहुंची तो उन्होंने ने प्राण त्याग दिया। इस घाट का समाचार कस्बे में पहुंचा तो शोक की लहर दौड़ गयी। रविवार की सुबह उनकी लाश पहुंचने पर इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पिता ओमप्रकाश की मानों आवाज़ ही छिन गई हैं। बेटे की मौत के बाद परिवार कैसे चलेगा, यह सवाल उन्हें खाये जा रहा है।  सौरभ परिवार के इकलौते कमाने वाले जो थे। घर पर जुटी सैकड़ों की भीड़ भी हाय हाय कर इस परिवार के भविष्य को लेकर भांति भांति की चिंताएं व्यक्त कर रही थी।

सौरभ की पत्नी ममता गुप्ता की आंखें पथराई हुई हैं। वह भी शून्य में ताकती रहती हैं। मानों वह स्वर्ग से पति के लौट आने की  प्रतीक्षा में हों। केवल 4 साल की मासूम आरवी ही इन सबसे अलग है। उसे ये भी नही पता कि मौत क्या होती है। वह इधर उधर खेले कूदते जब सौरभ के शव को पकड़ कर हिलती है और उन्हें सोता जान जगाने की कोशिश करती है तो समूचे परिवार की बेहोशी की हालत समाप्त होती है। सारा परिवार एक साथ चीख मार कर विलाप करने लगता है और मासूम आरवी हैरत में पड़ जाती है कि पापा को जगाने पर सब रो क्यों रहे हैं। चर उस मासूम को क्या पता कि उसके पापा अब कभी नहीं जागने वाले।

 

 

 

 

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