शहरी चकाचौंध के चक्कर में हर महीने घर से भागती हैं औसतन 10 लड़कियां
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले के ग्रामीण इलाकों से प्रतिमाह तकरीबन दस बालिकाएं बहुत कम उम्र में घर से भाग जाती हैं। यह स्थित प्रदेश के अन्य जिलों से बहुत अधिक है। इसके पीछे समाजशास्त्री और पुलिस अफसरों का मानना है कि जिले में इस तरह की घटनायें अशिक्षा और शहरी चकाचौंध के कारण हो रही हैं।
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार इस साल 1जनवरी 2015 से 30 सिम्बर 2015 के बीच लड़की भगाने के कुल 72 मामले दर्ज किये गये। इतने ही मामलों की रिपोर्ट तमाम कारणों से दर्ज नहीं हुईं। बहरहाल पुलिस में दर्ज मामलों की छानबीन से पता चलता है कि 80 फीसदी मामलों में लड़किया 13 से 16 साल की थीं।
छानबीन में यह तथ्य भी सामने आया है कि सभी लड़कियां गांव से प्रेमी के साथ भागने के बाद शहरों में ही रहीं। मसलन मुम्बई दिल्ली जैसे महानगारों से उन्हें बरामद किया गया। यह भी तथ्य सामने आया कि अधिकांश लड़कियां अशिक्षित थीं और गरीबी में जी रही थीं।
इस बारे में हयूमन टैफिक्रिंग पर काम कर रहे राजेश मनी त्रिपाठी का कहना है कि गांव की कम उम्र की लड़कियां अक्सर तमाम अभाव में जिंदगी गुजारती हैं। इसलिए जैसे ही अच्छे कपड़े और अन्य सुविधाओं से लैस कोई नौजवान उनके संपर्क में आता है, वह उसकी तरफ तेजी से आकर्षित हो जाती हैं।
इस बात को आगे बढ़ाते हुए पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी कहते हैं कि दरअसल गरीब लड़कियां भी बड़ी होने की प्रक्रिया के दौरान अपने भविष्य के बेहतर सपने देखने लगती हैं, जो उन्हें पूरा होते नहीं दिखता है।
यही कारण है कि वह किसी आधुनिक और सम्पन्न युवक को देख कर उसकी तरफ तेजी से आकर्षित होती हैं। फिर या तो वह युवक को भागने के लिए प्रेरित करती हैं या युवक ही उन्हें बरगला कर ले भागता है। एसपी श्री साहनी के मुताबिक अभिावक की जागरूकता और शिक्षा से ही इस पर रोक लगााई जा सकती है।