भारतीय संस्कृति में गाय का स्थान सर्वोच्च- गोपालमणि
संजीव श्रीवास्तव
भारतीय संस्कृति में गाय को उच्च स्थान दिया गया है। यहीं कारण है कि उसे माता का दर्जा प्राप्त है। जिस घर के लोग गौ पालन करते हैं वहां के लोग संस्कार और सुखी होते हैं। इसके अलावा जीवन-मरण से मोक्ष भी गौमाता ही दिलाती है। हिन्दू धर्म में मरने से पहले गाय की पूंछ छुआ जाता है इसके पीछे मान्यता है कि इससे जीवन में किए गये पाप से मुक्ति मिल जाती है।
यह विचार गोपाल मणि महाराज ने व्यक्त किया। वह सिद्धार्थनगर जनपद मुख्यालय के तहसील परिसर में आयोजित गौ कथा के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गाय की महिमा को शब्दों में बांधा नहीं जा सकता है। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौ माता उनके दुःख को दूर कर देती हैं।
उन्होंने कहा कि गाय हमारे जीवन से जुड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जाता है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएं बीमारियों करने के लिए रामबाण मानी जाती है। राज सुबह गौ दर्शन हो जाए तो समझ लों कि दिन सुधर गया। इसके और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं है। गौमाता की रक्षा करना सभी का धर्म है।
इस अवसर पर हरिशचन्द्र अग्रहरि, ओमप्रकाश यादव, डा. प्रेम कुमार, विजय प्रकाश पांडेय, प्रमोद कुमार द्विवेदी हरीश पांडेय, विरेन्द्र पांडेय, सुरेन्द्र, देवकीनंदन, आद्या दूबे, गिरिजाशंकर पांडेय, जयंत पांडेय, रामकरन गुप्ता, भगवतमणि, जगतमणि, अभिमन्यु, राजकुमार मिश्रा, बुद्धेश प्रसाद, सुनील गुप्ता, प्रहलाद चौरसिया, विनय त्रिपाठी, गोविंद पांडेय, जटाशंकर पांडेय, जगदीश कसौधन, शिवेन्द्र पांडेय, रत्नप्रकाश त्रिपाठी, उदयभान मिश्रा, विनय पांडेय उमेश मिश्रा, सुधीर श्रीवास्तव, राममिलन त्रिपाठी, महेन्द्र कुमार शर्मा, सुभाष गुप्ता आदि की उपस्थिति रही।