ANALYSIS: चिनकू यादव बने सपाई राजनीति के धूमकेतु और जमील के सर मुस्लिम चेहरे का सेहरा
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। पंचायत चुनाव में अपनी रणनीति से लोगों को चौंकाने वाले सपा नेता राम कुमार उर्फ चिनकू यादव जहां सिद्धार्थनगर में सपा के नये घूमकेतु बन गये हैं। वहीं विषम हालात में बड़े भाई को प्रमुख बनवाकर सपा नेता जमील सिद्दीकी ने समाजवादी पार्टी में मुस्लिम चेहरे का हक कमोबेश हासिल कर लिया है।
सिद्धार्थनगर की सपाई राजनीति में चिनकू यादव हों या जमील सिद्दीकी, कुछ समय पहले तक दोनों आम कार्यकर्ता माने जाते थे। लेकिन दो घटनाएं अचानक साथ हुईं। डुमरियागंज के विधायक और मुलायम सिंह के करीबी कमाल यूसुफ ने सपा को अलविदा कह कर पीस पार्टी का दामन थाम लिया। गत चुनाव में वहां विकल्प के अभाव में सपा ने चिनकू यादव को विधान सभा का टिकट दे दिया।
चुनाव में चिनकू खूब लड़े और अपने गुरू कमाल यूसुफ यूसुफ को बराबरी की टक्कर दी, मगर विधायक कमाल यूसुफ के तजुरबे के सामने यह नौजवान सिर्फ तीन हजार वोटों से हार गया। इसी के बाद चिनकू ने सियासी दुनिया में कामयाबी की नई इबारत लिखनी शुरू कर दी। विधान सभा चुनाव में सपा क्या जीती, चिनकू यादव के जीत के दरवाजे खुल गये।
गत पंचायत चुनाव में 38 साल के राम कुमार उर्फ चिनकू यादव ने अपनी पत्नी व भाई को जिला पंचायत सदस्य बनवाया तो अपने करीबी गरीबदास को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। ब्लाक प्रमुख चुनाव में उन्होंने अपने पूर्व गुरू व क्षेत्रीय विधायक मलिक कमाल यूसुफ के बेटे सलमान मलिक के खिलाफ अपने पिता मिठ्ठू यादव को जिताकर डुमरिया गंज ब्लाक का प्रमुख भी बनवाया।
यहां गौरतलब है कि आज की तारीख में जिले में विधानसभा अघ्यक्ष माता प्रसाद पांडेय से भी वरिष्ठ सियासतदान कमाल यूसुफ के बेटे और पूर्व प्रमुख को सलमान मलिक को 33 के मुकाबले 108 मत पाकर हराना हंसी खेल नहीं हैं, लेकिन चिनकू ने यह कारनामा अंजाम देकर अपने को समाजवादी पार्टी का धूमकेतु साबित कर दिया। चिनकू अब नेता नहीं सपा के जोरदार नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं।
दूसरी तरफ जमील सिद्दीकी भी सपा का सामान्य चेहरा ही थे। पिछले नगरपालिका चुनाव में उन्हें नगरपालिका सिद्धार्थनगर से टिकट मिला तो वह जीते ही नहीं बल्कि हिंदू बहुल और भाजपा के प्रभाव क्षेत्र वाले क्षेत्रों से जिस प्रकार वह जीत कर आये, उससे उनका कद बढ़ गया।
इस चुनाव में वह अपने भाई शफीक अहमद को प्रमुख का चुनाव लड़ाने के पक्षधर थे। लेकिन सपा ने संजू सिंह को उम्मीदवार बनाया। इसके बाद जमील ने जिस तरह मुख्यमंत्री को प्रभावित कर टिकट ही नहीं बदलवाया, बल्कि संजू सिंह पर जबरदस्त जीत हासिल की, वह चौंकाने वाला है।
याद रहे कि समाजवादी पार्टी के धाकड़ नेता कमाल यूसुफ मलिक सपा को अलविदा कह चुके हैं। एक अन्य बड़े नेता मुहम्मद सईद भ्रमर भी बहुत महत्वाकांक्षी नहीं रह गये हैं हैं। ऐसे में 40 साल से कम उम्र के इस नौजवान का सपाई राजनीति का मुस्लिम चेहरा बन जाना जिले के मुस्लिम जमात के लिए सुखद संकेत है।
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