जांच में नार्सिग होम के फर्जी होेने के पुख्ता प्रमाण, फिर भी कार्रवाई नहीं

February 26, 2016 2:23 PM0 commentsViews: 557
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संजीव श्रीवास्तव

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सिद्धार्थनगर। स्वास्थ्य विभाग की रहमो- करम से सिद्धार्थनगर में निजी अस्पतालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। इनमें ज्यादातर अस्पताल नियम-कानून के तहत कार्य कर रहे हैं, मगर कई ऐसे भी है, जिन्हें नियम कानून की कत्तई परवाह नहीं है। जनपद मुख्यालय पर ऐसे ही एक अस्पताल का खुलासा स्वास्थ्य विभाग की जांच के दौरान हो चुका है, मगर उस पर कार्रवाई की बात पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर चुप हैं।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक सिद्धार्थनगर जनपद मुख्यालय से सटे ग्राम भीमापार में आनरोड स्थित एक अस्पताल अर्से से सुर्खियों में है। लगभग दो माह पहले अपने को बाल रोग विशेषज्ञ बताकर बच्चों के इस अस्पताल की जांच की गयी। इस दौरान जांच करने वाली टीम ने इसे अवैध करार देते हुए कथित चिकित्सक को अस्पताल बंद करने का नोटिस थमा दिया।

सूत्र बताते हैं कि नोटिस मिलने के बाद इस कथित चिकित्सक ने स्वास्थ्य अफसरों की जमकर खातिरदारी की। जिसके बाद अस्पताल बंदी कराने के अपने फरमान पर सेहत मोहकमें के आला-अफसरों ने चुप्पी साध ली। इसी का नतीजा है कि यह कथित चिकित्सक आज भी बदस्तूर इलाज के नाम पर लोगों को लूट रहा है।

यहां पर जानकार यह सवाल उठाने से भी नहीं चूक रहे हैं कि अगर चिकित्सक जबरदस्ती अस्पताल चला रहा है, तो विभागीय अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराते है ? अगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो उनकी भूमिका पर सवाल जरुर उठेगा।

इस सिलसिले में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. जी. सी. श्रीवास्तव ने अस्पताल के अवैध होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि अब इस कथित चिकित्सक पर जल्द ही प्राथमिकी दर्ज कराया जायेगा।

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