होली मिलनः अपनी बीवी जान की दुश्मन लगती है, दुश्मन को भी गले लगाएं होली में
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। “रंग लगाएं, रंग जमाएं होली में,
अपना असली रंग दिखाएं होली में।
अपनी बीबी जान की दुश्मन लगती है,
दुश्मन को भी गले लगाएं होली में।”
होली के मौके पर सिद्धार्थ सिविल बार द्धारा दीवानी कचहरी में आयोजित कवि सम्मेलन में नियाज कपिलवस्तुवी ने यह लाइनें पढ़ कर लोगों को गुदगुदाया ही नहीं, बहुत कुछ सोचने पर मजबूर भी दिया।
होली मिलन के नाम से शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम में नियाज कपिलवस्तुई ने शुरू में जो उंचाई दी, उसे शायर डा जावेद कमाल ने और आगे बढाया। उनका कहना था कि-
“गंगा में नहा करके कितनों ने पाप धोया,
जमुना में वजू करके हमने भी सर झुकाया।”
अपनी बारी में जावेद कुशीनगरी ने होली गीत में पत्नियों की विरह कथा को बहुत सलीके से पेश कर वाहवाही लूटी। बकौल जावेद-
“जब भी कमाने कोई भी परदेश गया
गांव की याद दिलाने आई है होली।”
शादाब शब्बीरी ने भी जम कर समां बांधा। उन्होंने सामाजिक भाई चारे का संदेश देते हुए कहा कि –
“आयेगी ईद आपको सिंवई खिलाउंगा,
पहले ये शर्त है हमे गुझिया खिलाइये।”
अपनी बारी में मंजर अब्बास एडवोकेट ने होली के धमाल को सार्थक करते हुए जबरदस्त कविता पेश की। उनका कहना था-
“ये कैसा आंखों को मंजर दिखाई देता है,
नशे में नाला समंदर दिखाई देता है।”
इसके अलावा नजीर मलिक ने तुम्हारी गुझिया, हमारी सिंवई, कटोरियों में उबल रही हैं” जैसी गजल पढ़ कर मुल्क के हालात पर फिक्र जाहिर की। होली कवि सम्मेलन में डा. फजलुर्रहमान, पंकज सिंह, हमदम सीवानी, किशोर घोंघा, एडवोकेट धीरेन्द्र सिंह, डा. नौशाद आजमी ने भी अपनी रचनाओं से खूब रंग जमाया।
इस मौके पर बार के अध्यक्ष अखंड प्रताप सिंह ने मारोह के आखिर में सबको धन्यवाद दिया और कहा कि समाजिक भाई चारे को बढाने के लिए वह ईद मिल समारोह भी आयोजित करेंगे। इस अवसर पर बार के पदाधिकारियों समेत एडवोकेट रमेश कुमार पांउेय, जमील अहमद सिद्दीकी, राघवेंन्द्र सिंह, के जी सिंह कवीन्द्र पांडेय आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।