PHOTOS: बीजेपी नेता पर चढ़ा नागपंचमी का सुरूर, नागदेवता से दो-दो हाथ

August 18, 2015 5:30 PM0 commentsViews: 605
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संजीव श्रीवास्तव

1सिद्धार्थनगर ज़िले में बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष लालजी त्रिपाठी नागपंचमी के रंग में पूरी तरह रंग गए।

3घर आए सपेरों का नेताजी ने स्वागत किया और नाग देवता को दूध भी पिलाया।

5शहर में होने वाली शादी में बीजेपी नेता अक्सर पीढ़ा दान करते हैं। इसलिए वह पूरे इलाक़े में पीढ़ा बाबा के नाम से भी मशहूर हैं।

जिस तरह सपेरे लाल बाबा के घर पहुंचे, उसी तरह गांव, कस्बों और शहर के अलग-अलग हिस्सों में भी पहुंच रहे हैं। जिले के सभी शिवमंदिरों में पूजा की तैयारियां अंमित चरण में पहुंच चुकी हैं। शहर के पुराने पेट्रोल पंप पर शाम के वक्त गुड़िया भी पीटी जाती है। यहां जुटने वाली भीड़ को एक बेहतरीन कुश्ती प्रतियोगिता भी देखने को मिलती है। पुराने पेट्रोल पंप पर लगने वाले मेले में बच्चों का रेला देखते बनता है। उन्हीं बच्चों के लिए नागपंचमी के मौके पर कुछ चुनिंदा कहानियां…

कहानी-1

किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि को अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया।

अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।

कहानी-2

एक राजा के सात पुत्र थे, उन सबके विवाह हो चुके थे। उनमें से छह पुत्रों के संतान भी हो चुकी थी। सबसे छोटे पुत्र के अब तक के कोई संतान नहीं हुई, उसकी बहू को जिठानियां बांझ कहकर बहुत ताने देती थीं। एक तो संतान न होने का दुःख और उस पर सास, ननद, जिठानी आदि के ताने उसको और भी दुखी करने लगे। इससे व्याकुल होकर वह बेचारी रोने लगती। उसका पति समझाता कि ‘संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है, फिर तू क्यों दुःखी होती है?’ वह कहती- सुनते हो, सब लोग बांझ- बांझ कहकर मेरी नाक में दम किए हैं।

पति बोला- दुनिया बकती है, बकने दे मैं तो कुछ नहीं कहता। तू मेरी ओर ध्यान दे और दुःख को छोड़कर प्रसन्न रह। पति की बात सुनकर उसे कुछ सांत्वना मिलती, परंतु फिर जब कोई ताने देता तो रोने लगती थी।

इस प्रकार एक दिन नाग पंचमी आ गई। चौथ की रात को उसे स्वप्न में पांच नाग दिखाई दिए, उनमें एक ने कहा- ‘अरी पुत्री। कल नागपंचमी है, तू अगर हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह उठ बैठी और पति को जगाकर स्वप्न का हाल सुनाया। पति ने कहा- यह कौन सी बड़ी बात है?

पांच नाग अगर दिखाई दिए हैं तो पांचों की आकृति बनाकर उसका पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं, इसलिए उन्हें कच्चे दूध से प्रसन्न करना। दूसरे दिन उसने ठीक वैसा ही किया। नागों के पूजन से उसे नौ मास के बाद सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई।

वहीं बांसी के मिश्रौलिया थाने में सांप के काट लेने से एक बुज़ुर्ग की मौत हो गई है। सुफल नाम के बुज़ुर्ग को जब सांप ने काटा तो वह किसी से अपने घर तक पहुंचे। उनका परिवार उन्हें नज़दीकी हॉस्पिटल लेकर पहुंचा जहां उन्हें मरा घोषित कर दिया गया।

 

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