यादें– माधव बाबू के गढ़ बांसी में 13 चुनावों में सिर्फ दो बार सेंध लगा पाए कांग्रेसी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बांसी विधानसभा क्षेत्र आजादी के बाद से ही भाजपा (जनसंघ) का गढ़ माना जाता है और माधव बाबू उस गढ़ के रचनाकार। उनके इस किले को आजादी के बाद से कांग्रेस केवल चार बार ही जीत पाई। जिसमें दो चुनाव आजादी के तत्काल बाद यानी सन 52 और 57 के थे, जब कांग्रेस को हराने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।बाद के 13 चुनावों में भी सिर्फ दो बार ही कांग्रेसी जीतने में कामयाब हो सके।
भाजपा की पहली जीत
1962 के चुनाव में कांग्रेस का बांसी में जोर तो था, लेकिन यहां जनसंघ (भाजपा) ने माधव प्रसाद त्रिपाठी को युवा नेता के तौर पर तैयार कर लिया था। माधव बाबू एलएलबी करके रानीति में आये थे। उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रभुदयाल विद्याथीं से हुआ। प्रभुदयाल गांधी जी के आश्रम में वर्षों रहे थे, लेकिन नतीजा सामने आया तो लोग चौंक पड़े। महात्मा गांधी के साये में राजनीति का ककहरा सीखने वाले प्रभुदयाल को मात मिली।
1967 के विधान सभा के चौथे आम चुनाव में प्रभुदयाल विद्यार्थी ने 26834 बोट पाकर माधव बाबू को हरा दिया। माधव बाबू को 23948 बोट ही मिल सके। इसके बाद 69 और 74 के चुनाव में माधव बाबू लगातार जीते। 77 में वे राष्ट्रीय राजनीति में चले गये और सांसद बने।
1977 में माधव बाबू की जगह भाजपा कोटे के हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव उर्फ हरीश जी ने चुनाव जीता। 80 में हरीश को हराते हुए कांग्रेस के दीनानाथ पांडेय ने 33189 वोट पाकर जीत हासिल की, लेकिन 85 के चुनाव में हरीश जी ने कांग्रेस विधायक दीनानाथ पांडेय को हरा कर हिसाब बराबर कर लिया।
जयप्रताप युग का उदय
1989 से बांसी की राजनीति में जयप्रताप सिंह का उदय हुआ। बासी राजघराने के सदस्य ने निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 55610 वोट पाकर रिकार्ड वोटों से जीत हासिल की।उनकी 91 की विजय के बाद उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने अपना लिया फिर वह 93, 96, व 2002 में लगातार तीन चुनाव भाजपा के टिकट पर जीते
ऐसे में जब बांसी में भाजपा निरंतर चुनाव जीत रही थी तो 2007 का चुनाव उसके लिए झटका साबित हुआ। इस चुनाव में सपा के लाल जी यादव ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए जय प्रताप सिंह को हरा कर खलबली मचा दी। मगर लाल जी अपना टैंपो बरकरार न रख सके और 2012 के चुनाव में कड़े मुकाबले में थोड़े से मतों से भजपा के जयप्रताप सिंह ने उन्हें हरा दिया। आने वाले चुनाव में एक बार फिर बांसी में लालजी यादव और जयप्रताप सिंह के बीच टक्कर होने का अनुमान है।