Vip seat– भाजपा और बसपा की निरंतर बढ़त से ‘यूपी स्पीकर’ की सीट पर लड़ाई कठिन
नजीर मलिक
“यूपी असम्बली के स्पीकर माता प्रसाद पांडेय की सीट पर मुकबला दिलचस्प हो गया है। सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट पर हालात कुछ ऐसे बन रहे हैं कि चुनाव नतीजे चमत्कारिक भी हो सकते हैं। स्पीकर माता प्रसाद पांडेय हालात पर काबू पाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।”
इटवा पर पूरे प्रदेश की नजर
उत्तर प्रदेश की इटवा सीट पर पर पूरे प्रदेश की निगाह है। स्वयं समाजवादी नेतृत्व और अखिलेश यादव खुद भी इस सीट पर निगाह रखे हुए हैं। इस सीट १९८० से अब तक हुए नौ चुनावों में पांडेय ६ बर जीत और ३ बार हार का स्वाद चख चुके हैं। हर चुनाव में उनके जीत की कयासबाजी होती है, मगर यह पहली बार है कि लोग उनकी हार की कयासबाजी कर रहे हैं।
क्या था पिछला गणित
गत चुनाव में वह बसपा से मा़त्र १२ हजार मतों से जीते थे। उनकी जीत के मुख्य दो कारण थे। पहली बात यह कि पीस पार्टी के उम्मीदवार ने १० हजार ७ सौ मत प्रप्त कर लिये थे। इसके अलावा भाजपा का अधिकांश मत माता प्रसाद पांडेय को ट्रांसफर हो गया था। पिछली बार भाजपा उम्मीदवार हारे प्रत्याशी की भांति लड रहे थे और उन्हें सिर्फ १५९९७ वोट ही मिले थे।
क्या हैं इस बार हालात
इस बार हालात उलटे हैं। पीस पार्टी यहां से चुनाव नहीं लड़ रही। इसलिए उसके ११ हजार मत भाजपा के मुस्लिम उम्मीदवार अरशद खुरशीद को जाने के संभावना है। इसके अलावा भाजपा ने इस बार संघ के आदमी को उम्मीदवार बनाया है। यहां पार्टी अपने उम्मीदवार के पीछे एक जुट है। भाजपा के जमीनी नेता हरिशंकर सिंह पूरी ताकत से उनके साथ हैं। इसलिए मुकाबला रोचक होने की संभावना है। जाहिर है कि माता प्रसाद का सजातीय होने के कारण सतीश द्धिवेदी सजातीय मतों में बंटवारा जरूर करेंगे।
गठबंधन की भूमिका नाकामयाब
इस सीट पर सपा कांग्रेस गठबंधन के वोट यदि मिल जायें तो पिछले चुनाव के आधर पर माता प्रसाद के वोटों की तादाद ७५ हजार से अधिक हो सकती है। पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार मो मुकीम को यहां ३३८०९ वोट मिले थे। लेकिन सवाल है कि मुकीम समर्थक वोट सपा को ट्रांसफर हो पाएंगे?
जानकार समझते हैं कि इटवा में मुकीम और पांडेय के जनाधार में बेहद टकराव है। वहां लोगों के समर्थक राजनीतिक ही नहीं एक दूसरे से व्यक्तिगत लड़ाई में उल्झे हैं। हालांकि मो. मुकीम माता प्रसाद की मदद में जुटे, लेकिन मुकीम की बात को कोई मुसलमान नहीं मान रहा। हांलाकि मुकीम का समर्थक वर्ग अधिकांशतः मुस्लिम है, लेकिन वह माता प्रसाद को वोट देने को तैयार नहीं दिखता।
चौंका सकता है नतीजा
इटवा क्षेत्र के नेबुआ गांव के एक गैर राजनीतिक मुस्लिम का कहना है कि मुकीम किसी पार्टी में रहे, इस गांव का एक हजार से अधिक वोट उन्हें मिलता था, लेकिन हम उनके कहने पर माता प्रसाद को वोट कैसे दे सकते हैं। वो हमेशा हम लोगों के खिलाफ रहे। मुकीम भले उनके पीछे चलें, लेकिन खुद्दार मुसलमान इस कभी कबूल न करेगा। कुल मिला कर भाजपा के सतीश द्धिवेदी और बसपा के अरशद खुर्शीद उनको तगड़ी टक्कर दें रहे हैं। नतीजा अगर चौंका दे तो ताज्जुब कैसा।