शोहरतगढ़ः लड़ाई हुई रोमांचक, मीम, पीस व अपना दल जंग को बहुकोणीय बनाने में जुटे
संजीव श्रीवास्तव
सिद्धार्थनगर। जिले की शोहरतगढ़ विधानसभा सीट पर लड़ाई बहुत रोमांचक हो गई है। यहां मुख्य मुकाबला सपा, बसपा व रालोद में है, मगर भाजपा गठबंधन के अपना दल उम्मीदवार सहित ओवैसी व डा. अयूब की मीम और पीस पार्टी भी मेहनत कर चुनाव को बहुकोणीय बनाने के प्रयास में लगे हैं।
शोहरतगढ़ में कुल वोटरों की तादाद ३४०३७० है। इसमें २७ फीसदी मुस्लिम, १६ फीसदी दलित हैं। इसके बाद ब्राह्मण व कुर्मी मतादाता हैं। इस विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक लालमुन्नी सिंह के बेटे व सपा उम्मीदवार उग्रसेन सिहं, बसपा के मो. जमील सिद्दीकी और पूर्व विधायक व रालोद उम्मीदवार पप्पू चौधरी के बीच मुख्य मुकाबला देख जा रहा है। भाजपा ने यहां चुनाव न लड़ा कर अपने सहयोगी अपना दल के उम्मीदवार पर दांव लगाया है। कांग्रेस का सपा से अलग कोई आधार नही है। ऐसे में अनिल सिंह कितना वोट पायेंगे, यह देखने की बात होगी।
अमर सिंह की दिक्कतें
अपना दल उम्मीदवार अमर सिंह चौधरी के समक्ष उनका चुनाव चिन्ह कमल के बजाये कप प्लेट और खुद उनका बाहरी होना कठिनाई उत्पन्न कर रहा है। उनकी सारी उम्मीदें चौधरी वोटों पर टिकी हैं, लेकिन रालोद उम्मीदवार और तीन बार विधायक रहे चुके पप्पू चौधरी को छोड़ कर कुर्मी वोट अमर सिंह चौधरी को जायेगा, यह थोड़ा कठिन दिखता है। बहरहाल अमर सिंह चौधरी जबरदस्त मेहनत कर चुनाव को चतुष्कोणीय बनाने में लगे हैं।
मीम का गुणा भाग
इस सीट पर इसके अलावा पीस पार्टी और ओवैसी की मीम पार्टी जैसी मुस्लिम वोट पर आधारित पार्टियां भी मैदान में हैं। मीम के पूर्वांचल प्रभारी अली अहमद इस सीट से मैदान में हैं। उनका दावा है कि वह जीत रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि वह बेस वोट के अलावा विनिंग वोट कहां से लायेंगे, अली अहमद का कहना है कि मुस्लिम के अलावा उनके पास दलितों समेत हर जातियों के वोट हैं जो बैरिष्टर औवैसी साहब की काबिलियत और मेरी मेहनत के आधार पर मुझको मिलेंगे।
पीस पार्टी की हालत
इस सीट से पीस पार्टी ने कट्टर हिंदूवादी छवि के नेता राधारमण त्रिपाठी को टिकट दिया है। राधारमण भाजपा से टिकट न मिलने पर पीस पार्टी का टिकट ले आये। एक हिंदूवादी नेता को मुसलमान कितना वोट देगा, यह बड़ा सवाल हैं। हालांकि राधारमण का कहना है कि वह सजातीय वोटों के साथ मुस्लिम वोटों को जोड़ कर चुनाव जीतने के प्रयास में हैं। यहां कुल १५ प्रत्याशी मैदान में हैं।
कौन पाएगा कुर्मी वोट
फिलहाल यहां लड़ाई तिकोनी है। अन्य कई उम्मीदवार लड़ाई को बहुकोणीय बनाने के प्रयास में हैं। अगर कुर्मी वोटों में अपना दल के अमर सिंह बंटवारा करते हैं तो बसपा और सपा में मख्य मुकाबला होने का अंदेशा है। लेकिन क्षेत्र के कुर्मी संगठन का कहना है कि जब पूर्व में तीन चुनाव लड़ कर भाजपा उम्मीदवार साधना चौधरी जैसी हस्ती पप्पू चौधरी का कुर्मी वर्चस्व नही तोड़ पाईं तो बात साफ हैं कि अपना दल के प्रत्याशी के लिए यह काम बेहद कठिन होगा।
निष्कर्ष
फिलहाल यहां चुनाव प्रचार के प्रथम चरण में लडा़ई स्पष्ट दिख रही है। रालोद, मीम और पीस पार्टी के उम्मीदवार मुकाबले को चौकोना बनाने के प्रयास में हैं। मगर चुनावी परिदृश्य अभी धुंधला है। एक सप्ताह में हालात क्या होते हैं, यह देखने की बात होगी। तो नजर जमाए रखिऐ और ऊंट के करवट बदलने का इंतजार करिए।