शोहरतगढ़ः हाथी, साइकिल की भागमभाग, हैंडपंप व कप–प्लेट भी बांट रहे विकास का चाय–पानी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले की शोहरतगढ़ सीट पर सपा के उग्रसेन सिंह की साइकिल और बसपा के जमील सिद्दीकी की हाथी चुनावी दौड़ में आगे हैं। रालोद के पप्पू चौधरी का हैंडपंप विकास का शुद्ध पेयजल लेकर और अपना दल के अमर सिंह का कप–प्लेट भी प्रगति की कड़क चाय के साथ दौड़ जीतने के दावेदार हैं। फिलहाल अंतिम चरण में एक–एक वोट के लिए घमासान मचा हुआ है।
फिलहाल हालिया चुनावी तस्वीर में हाथी और साइकिल जीत की फिनिशिंग लाइन छूने के ज्यादा करीब हैं, लेकिन रालोद का हैंडपंप अपना दल का कप प्लेट भी ज्यादा पीछे नहीं हैं। सीमाई इलाके में अपना दल के अमर सिंह चौधरी का जोर हैं तो बढनी इलाके में पूर्व विधायक व रालोद उम्मीदवार पप्पू चौधरी भारी दिख रहे हैं। सपा के उग्रसेन सिंह और बसपा के जमील अहमद का वोट कमोबेश हर तरफ बोल रहा है।
कल का दिल महत्वपूर्ण है
कल जिला हेडक्वार्टर पर मायावती की सभा के बाद शोहरतगढ़ में बसपा का मनोबल बढा हुआ है।शनिवार को चिल्हिया में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जनसभा है। इसका प्रभाव निश्चित सपा का हौसला बढ़ाएगा। इसके बाद वहां की तस्वीर बदलगी। कुछ वोट ऐसा है जो अभी यह देख रहा है कि बसपा के मुस्लिम कैंडीडेट को हराने में कौन सक्षम है वह, इसे भांप कर तगड़े उम्मीदवार को मतदान करेगा।
बदल गया है शोहतगढ़ का वोटिंग ट्रेंड
दरअसल पिछले चार चुनावों से शोहरतगढ़ में मतदान का ट्रेंड बदला हैं। बसपा लगातार चार चुनावों से यहां मुस्लिम कैंडीडेट दे रही है। ऐेसे में यहां का एक बड़ा मतदाता वर्ग अंतिम समय में पार्टी को छोड़ कर जिताऊ उम्मीदवार के साथ खड़ा हो जाता है और नतीजे में बसपा की जबरदस्त लड़ाई के बावजूद शिकस्त हो जाती है। अतीत के तीन चुनावों में ऐसा साबित भी हुआ है।
बहरहाल बसपा उम्मीदवार की सारी कोशिश इस पर है कि अंत समय में वोटों का ध्रुवीकरण न हो इसलिए वह चुनाव प्रचार में बहुत सावधानी बरत रहे हैं। जबकि दूसरे दलों के उम्मीदवार यह साबित करने में लगे हैं कि उनकी लड़ाई बसपा से है।कल सुबह अखिलेश की रैली है। उसके बाद शाम तक परिदृश्य साफ होगा कि चुनावी दौड़ का फाइनल किसके बीच खेला जायेगा।
कांग्रेस व मीम भी प्रभावित करेंगे नतीजे
शोहतगढ़ में चल रहे चुनावी समर के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार अनिल सिंह व ओवैसी की मीम पार्टी से चुनाव लड़ रहे अली बहमद भी पूरी ताकत से मैदान में हैं। यह दोनों उम्मीदवार जीत भले न सकें, लेकिन चुनाव नतीजे में इनकी खास भूमिका होगी। अली अहमद और अनिल सिंह जितना भी वोट पायेंगे, उससे सपा या बसपा का ही नुकसान होगा। वैसे उग्रसेन सिंह के पास भाजपा के वोट में सेंधमारी कर नुकसान बराबर करने का विकल्प भी है।