पुलिस की लापरवाही से बिगड़ी शोहरतगढ़ की तस्वीर, इतिहास से नहीं लिया सबक
अजीत सिंह
शनिवार शाम को सिद्धार्थनगर के उपनगर शोहरतगढ़ में ताजिया जुलूस निकालते समय दो पक्षों में हुई मारपीट, पत्थरबाजी व आगजनी की घटना सामप्रदायिक तनाव का रूप ले लिया, जो देर रात लगभग 12 बजे डीआईजी के पहुंचने के बाद नियंत्रण में आया। यह पूरा मामला पुलिस प्रशासन की लापरवाही से हुआ हैं। मामले पर नियंत्रण पाने के लिये पुलिस ने जमकर लाठियां भी भांजी।
वैसे तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले ही चुनाव, दशहरा व मोहर्ररम जैसे त्योहारों से पहले ही पुलिस विभाग के मंडलस्तरीय अधिकारियों द्वारा जिले का भ्रमण कर पुलिस अधिक्षक व उनके अधीनस्थों को जरूरी टिप्स दिये थ,े मगर जिम्मेदारों ने गंभीरता नहीं दिखाई। जिसका नतीजा एक अधेड़ सूर्यलाल की मौत और भीषण आगजनी के रूप में सामने आया।
सूत्रों के अनुसार थाने पर हुई पीस कमेटी की बैठक में दोनों पक्षों के बीच तय हुआ था कि राम जानकी मंदिर के सामने ताजियों की लाइन नही लगेगी और न ही वहां किसी प्रकार की नारेबाजी होगी। जिस पर दोनों पक्ष सहमत भी हो गये थे।
शनिवार को जब जुलूस मंदिर के पास पहुंचा तो आरोप है कि कुछ मनबढ़ नारेबाजी करने लगे और मंदिर के सामने जुलूस रोक दिये। जवाब में दूसरे पक्ष के लोग आ गये और नारेबाजी का विरोध करने लगे। देखते देखते मामला दंगे का रूप लेने की ओर बढ़ने लगा। इस दौरान पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। अधिक फोर्स आने के बाद पुलिस ने नगर पंचायत अध्यक्ष के पति व बेटे सहित सैकड़ो लोगों को जमकर पीटा।
हालांकि नोरबाजी या पत्थरबाजी किस पक्ष ने शुरू की इस पर पुलिस विभाग अधिकृत रूप से कुछ नहीं कह रहा। ताजियादारों का आरोप हें कि नारेबाजी बहाना है, पहले मंदिर की ओर से ताजियों पर पत्थर फेंके गये। सच जो भी हो, मगर सवाल है कि अग किसी पक्ष ने समझौते को तोड़ा तो मौके पर मौजूद पुलिस क कर रही थी, जअकि उसे पता था कि शेहरतगढ जिले के अति संवेदनशील कस्बे में शुमार होता है।
शहर के तमाम जानकार कहते हैं कि शोहरतगढ़ में साम्प्रदायिक झड़पें होना आम बात रही है। बावजूद इसके पुलिस ने लापरवाही से काम लिया। अगर वह मंदिर के सामने की उत्तेजक कार्रवाई पर तत्काल सख्ती कर देती तो इस अप्रिया हालत से बचा जा सकता था।
पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी ने कहा है कि सुभाष नगर के सूर्यलाल गुप्ता की मौत का ताजिया जुलूस के दौरान हुए विवाद से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि नपं के अध्यक्ष व परिवार के साथ पुलिस ने कोई अभद्रता नहीं की गयी है। उधर सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि यदि प्रशासन पहले कोई पुख्ता इंतजाम किया होता तो यह घटना नहीं होती।
फिलहाल उपनगर शोहरतगढ़ इस समय पुलिस छावनी में तब्दील हो चुकी है वहां आठ थाने की पुलिस व पीएसी के जवानों की कड़ी पहरेदारी चल रही है। सड़कें सूनी हैं, दुकाने बंद हैं। लोग अपने घरों में नजरबंद हैं। चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात हैं।