अल फारूक कालेज में नहीं चलता सरकारी कानून, उड़ाई जा रही सरकारी आदेशों की धज्जियां
सरकारी नियम है कि जूनियर स्तर पे बच्चों को फेल न कर प्रमोंशन दे, मगर अलफारूक में बच्चों को फेल भी करते हैं और टीसी भी नहीं देते
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। अल फारूक इंटर कालेज इटवा में जूनियर स्तर के सैकड़ों बच्चों को नियमानुसार अगली कक्षा में प्रमोट करने के बजाए उन्हें फेल बता कर बच्चों व अभिभावकों का उत्पीड़न करने का सन-सनीखेज मामला सामने आया है। अनेक अभिभावकों का कहना है कि जूनियर कक्षाओं में बच्चों को फेल करने के बजाये उन्हे प्रमोट करने के सरकारी नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कई लोंगों ने तो कालेज प्रबंधन के इस इस कृत्य को भयादोहन की संज्ञा दे डाली है।
बताया जाता है कि अलफारूक इंटर कालेज में आठ तक की कक्षाओं में सैकड़ों बच्चों को फेल कर दिया गया। जबकि नई शिक्षा नीति के मुताबिक जूनियर क्लास के बच्चों को फेल करने के बजाए उनकों अगली कक्षा में प्रवेश देने का नियम चला आ रहा है। इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब कुछ अभिभावकों ने इस मामले को स्कूल के समक्ष उठाया। लेकिन स्कूल प्रशासन द्वारा शासन के इस नियम को मानने से इंकार कर रहे हैं । जब कुछ गार्जियन ने दूसरे स्कूल में नामांकन के उद्देश्य से अपने बच्चों की टीसी मांगा तो कालेज ने टीसी भी देने से इंकार कर दिया।
यहां शिक्षा विभाग का नही स्कूल का कानून चलता है?
इटवा निवासी इब्ने अहमद व पिपरा के साबिर खान का कहना है कि दरअसल अल फारूक इंटर कालेज में शासन का कोई कानून नहीं चलता है। कालेज के लोगों ने बच्चों को प्रमोट करने के बजाए गैर कानूनी रूप से फेल किया। अब उन बच्चों को दूसरी जगह नाम लिखाने के लिए टीसी भी नहीं दी जा रही है। इसकी शिकायत शिक्षा विभाग से करने की बात पर स्कूल प्रशासन धमकी देता है कि अल्पसंख्यक चरित्र वाले इस स्कूल के अपने कानून हैं। जहां शिकायत करना हो कर सकते हैं। इस मामले की जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत करते हुए अभिभावकों ने उनसे न्याय और कार्रवाई की मांग की है। अभिभावकों के मुताबिक उन्हें जांच कर कार्रवाई का आश्वासन भी मिला है।
मार्च के बजाये जून में लेते हैं परीक्षा?
यही नहीं इस कालेज के बारे में पता चला है कि गत शिक्षा सत्र की परीक्षा 31 मार्च तक हो जानी चाहिए, मगर स्कूल प्रबंधन ने न जाने किस कारण से परीक्षा जून माह में कराई और उनका रिजल्ट 15 जून को जारी किया। इस बारें में इटवा के पिपरा पठान निवासी साबिर खान कहते हैं कि यह सब नियमें सरकारी नियमों के खिलाफ नहीं तो और क्या है। इस पूरे मामले की जांच हो जाए तो स्कूल की कई कड़वी सच्चाइयां सामने आ जाएंगी।
कोई गड़बड़ी नहीं, कोई उत्पीड़न नहीं- प्रबंधक
इस बारें में जब इंटर कालेज के प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद से बात की गई तो पहले तो वे चौके फिर संभलते हुए उन्होंने बताया कि वे फेल हुए बच्चों को 6 महीने तक पढ़ायेंगे उसके बाद अगली क्लास में प्रमोट कर देंगे। इसमें कोई गलत बात नहीं। लेकिन वह शासन के अनुसार प्रमोशन क्यों नहीं कर देते, इस सवाल का जवाब देने के बजाए कन्नी काट गये। उन्होंने कहा कि रही बात भयादोहन आदि अन्य आरोंपों की बात तो वह सब झूठी और बेबुनियाद हैं।