यूपी चुनाव में अपना दल और भाजपा का गठबंधन टूटेगा?
गठबंधन को लेकर पत्रकारों द्धारा अनुप्रिया से पूछे गये सवालों पर उनके जवाब का रहस्य क्या है
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। यूपी में चुनावी बिसात पर भाजपा के मोहरे सही नहीं बैठ रहे हैं। इस बार अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग चुनाव पूर्व ही रंग दिखाने लगी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी रणनीति के मामले में कदम कदम पर सपा से मात खाती जा रही है। इसी क्रम में आशंका व्यक्त जा रही है कि अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल भी अधिक सीटें न मिलने की दशा में भाजपा गइबंधन से अलगा हो सकतीं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव अधिक सीटें देने के लिए तैयार बैठे हैं। ऐसे में सीटों के बंटवारे में भाजपा ने तनिक भी कठोर रुख अपनाया तो कुर्मी बिरादरी की सबसे बड़ी नेता अखिलेश से गठबंधन कर सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो भारतीय जनता पार्टी को भारी क्षति संभव हो सकती है।
भारतीय जनता पार्टी ने सहयोगी दलों से अभी तक सीट बंटवारे का एलान नहीं किया है। जबकि उनके सहयोगी दल चाहते हैं कि सीटों का बंटवारा जल्द हो ताकि वह अपने उम्मीदवारों की घोषण समया अनुसार कर सके। लेकिन भाजपा ऐसा नहीं कर रही है। जानकार बताते हैं कि भाजपा का मानना है कि सीटों का बंटवारा अंतिम क्षणों में किया जाये ताकि सहयोगी दल यदि नाराज भी हों तो सपा से गठबंधन का मौका न पा सकें। मगर उन्हीं विश्लेषकों का यह भी मानना है कि भाजपा की इस चाल को अनुप्रिया और उनकी पार्टी खूब समझती है।
बताया जाता है कि इस बात को ध्यान में रख कर अनुप्रिया पटेल नई रणनीति बना रही हैं, जिनमें एक विकल्प उनका सपा से गठबंधन करना भी है। दर असल अपना दल अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल इस बार भाजपा से 40 से 30 सीट पाने की इच्छा रखती हैं। इसीलिये वह मीडिया से बार बार पार्टी के विस्तार की बात कह कर भाजपा कों संदेश देती रहती हैं।लेकिन भाजप इसका कोई कूटनीतिक जवाब नहीं दे रही है। इस लिए अब वह पत्रकारों के बीच गठबंधन की चर्चा के दौरान बार बार राजनीतिक में सभी संभावाओं के द्वार खुले रहने की बात कर रही हैं। ‘सभी संभावना’ का अर्थ राजनीतिक विश्लेषक भाजपा नहीं तो सपा से गठजोड़ की बात मान रहे हैं। वैसे भी भाजपा के आरक्षण विरोधी रवैये और उसके जातिगत जनगणना विरोधी रुख के कारण पिछड़ी जातियों के अनेक संगठन सपा के साथ जा रहे हैं। ऐसे में सीटों का तालमेल बिगड़ने पर अनुप्रिया भी सपा के झंडे तले चली जाएं तो बहुत आश्चर्यजनक न होगा।
फिलहाल अनुप्रिया पटेल की माता श्रीमती कृष्णा पटेल का अपना दल का दूसरा धड़ा आखिलेश यादव के साथ है। इसके अलावा रालोद के जयंत चौधरी, सुभाषपा के ओमप्रकाश राजभर, महान दल आदि कई पिछड़ी जातियों के राजनीतिक संगठन अखिलेश यादव के साथ हो चुके हैं। ऐसे में अनुप्रिया पटेल भी अपने दल के साथ भाजपा में निश्चित ही असहज पा रही होंगी। यही नहीं अखिलेश यादव के इस ताजा सोशल इंजीनियरिंग मे आज नहीं तो कल अगर अनुप्रिया पटेल भी शामिल हो जाएं तो किसी को ताज्जुब नहीं होना चाहिए। यही करण है कि वह पत्रकारों से बार बार कह रही है कि राजनीति में संभावनाओं के द्वार हमेशा खुले रहते हैं।