अपने ही कर रहे अपनों का कत्ल, जिले में बढ़ती जा रहीं ‘रिश्तों के कत्ल’ की घटनाएं

April 26, 2022 2:05 PM0 commentsViews: 478
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। अज के दौर में इंसान इतना एकाकी होता जा रहा है कि धीरे घीरे  रिश्तों की डोर कमजोर होने लगी है और क्षणिक स्वार्थ के वशीभूत होकर अपने ही अपनों की हत्याएं करने लगे हैं। भी चार दिन पूर्व एक पिता और दादी ने मिल कर घर के पांच साल के बच्चे को मार डाला। जाहिर है कि इतना छोटा बेच्चा बेकसूर था। मगर आये दिन बढ़ते मानसिक तनाव व उपभोकतावादी प्रवृति के चलते इस प्रकार की घटनाएं आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ने लगी हैं। नतीजतन जिले में अपनों के खून से अपनों का दामन दागदार हो रहा हैं।

इसी सप्ताह शोहरतगढ़ के नहरी गांव में में डेढ़ वर्ष के मासूम राजकुमार की उसके पिता और दादी के द्वारा पटक पटक कर की गई हत्या मानसिक मनाव और अवसाद की हालत बयान करती है। जिले में इस प्रकार की एक नहीं कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां अपनों ने ही अपनो की जान ली, वह भी क्रूरता से। समाज शास्त्री इसके घातक और समाज के लिए चिंताजनक बता रहे हैं।

ताने से दंग मा ने दो मासूमों को मार डाला था

बीते वर्ष ढेबरुआ थाना क्षेत्र परसा देवइचपार में वर्ष एक मां ने अपने दो बच्चों की हत्या इसलिए कर दीकि उसका पति उसे बात बात पर ताने देता था। घर में आर्थिक तंगी दी। ऊपर से पति के अपमानजनक व्यवहार ने उसे क्रोधावेशी और अवसाद का रोगी बना दिया।जिसका नतीजा यह हुआ कि  जब वह पकड़ी गई तो पूछताछ में उसने कबूलकिया कि पति के ताने से वह परेशान थी। इसलिए मार आवेश में बच्चों को मार डाला, लेकिन अब उसे बहुत अफसोस है।

बाप ने कुल्हाड़ी से बेटे को काट डाला

इसी प्रकार चिल्हिया थाना क्षेत्र के जमुनी गांव में एक बेहरम पिता ने अपने पांच

वर्षीय इकालौते पुत्र को कुल्हाड़ी से हमला करके मौत के घाट उतार दिया। उसे यह भी ख्याल न आयाकि वह उसका सगा बेटा है। आखिर मां आगे आई, उसने तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया। हत्या का करण मनसिंक तनाव और अवसाद ही सामने आया। अक्सर इन तनावों का करण आर्थिक या सामाजिक होता है। या फिर परिवार में हालात के चलते एकांतवास की हालत होती है।

 जन्म देने वाली मां ने ही मार डाला

खेसरहा थाना क्षेत्र के एक गांव में एक महिला ने अपनी 11 माह की बेटी की हत्या कर। पकड़े जाने पर उसने ब्यान दिया कि उसकी बेटी उसकी स्वच्छंदता में  में बाधक बन रही थी। वह भाग कर किसी अन्य के साथ घर बसाना चाहती थी, मगर बच्ची के होते हुए वह नहीं जा पाती। इसलिए उसने रास्ते से हटा दिया। इस छोटे से सुख के लिए उसने अपनी ही नवजात बेटी को मार डाला। जाहिर है कि इंसानों के जेहन में बैठा स्वर्थ का कीड़ा उसे अवसाद में डाल चुका था। टन्यथा ऐसा न होता।

क्या बोले समाजशास्त्री

इस बारे में पीजी कालेज के समाजशास्त्र के हेड डा. रघवर प्रसाद पांडे कहते हैं कि समय के साथ-साथ इंसान बदल रहा है। अपनों से दूरी लोगों के संबंधों को खत्म कर रही है। अपनत्व के खत्म होने से मानवता मर रही है। इसलिए लोग एक-दूसरे की जान लेने से नहीं चूक रहे हैं। इससे बचने के लिए आपसी संबंध बनाए रखें। किसी भी मामले को बड़ों से शेयर करें। इससे आपसी दूरी कम होगी और इस प्रकार की घटनाएं नहीं होंगी।

 

 

 

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